हरियाणा: उत्तर भारत में मानसून की बारिश और जलाशयों से छोड़े गए पानी के कारण यमुना नदी उफान पर है। मंगलवार को हथिनीकुंड बैराज से शाम छह बजे कुल 52,668 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस पानी के कारण यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। यमुना नदी में 40,648 क्यूसेक, पश्चिमी यमुना में 10,510 क्यूसेक और पूर्वी यमुना नहर में 1,510 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बैराज के सभी 18 गेट खुले हुए हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
पानी के इस तेज प्रवाह के कारण पंचकूला-हरिद्वार राष्ट्रीय हाईवे पर आवागमन बाधित हो गया है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से नदी के किनारे न जाएं और उच्च जलस्तर वाले क्षेत्रों में न रहें। यमुना के किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। पानीपत में नदी के खतरे के निशान के पास जलस्तर काफी ऊँचा पहुँच चुका है, जिससे प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम सतर्क हो गई है।
स्थानीय प्रशासन ने आपात स्थिति के लिए राहत शिविर तैयार कर लिए हैं। प्रभावित इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। साथ ही, जिले के स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में आने-जाने पर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
मौसम विभाग ने भी यमुना और इसके सहायक नहरों में जलस्तर बढ़ने की संभावना को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। अधिकारियों के अनुसार, अगले 24 से 48 घंटों में पानी का स्तर और बढ़ सकता है। इस वजह से आसपास के किसानों को अपने खेतों की सुरक्षा करने की सलाह दी जा रही है।
स्थानीय लोग और वाहन चालकों ने भी हाईवे पर पानी के तेज बहाव और जमी हुई पानी की वजह से आने-जाने में दिक्कतें होने की सूचना दी है। प्रशासन ने ऐसे क्षेत्रों में यातायात को सीमित कर दिया है और लोगों से अनुरोध किया है कि वे सुरक्षित मार्गों का प्रयोग करें।
हरियाणा सरकार ने कहा है कि जिले में हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। राहत और बचाव कार्य के लिए अतिरिक्त संसाधन तैनात किए गए हैं। पुलिस और आपदा प्रबंधन दल लगातार प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं।
इस दौरान लोगों से विशेष सतर्कता बरतने और नदी के किनारे जाने से बचने की अपील की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के इस दौर में जलस्तर में अचानक वृद्धि आम है और ऐसे समय में सावधानी ही सुरक्षा है।
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