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राजस्थान में सभी स्कूल बने सीनियर सेकेंडरी

31 अपर प्राइमरी स्कूलों को सीधे अपग्रेड, छात्रों को अब नहीं बदलना पड़ेगा स्कूल…..

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राजस्थान के शिक्षा विभाग ने एक अहम निर्णय लेते हुए राज्य में माध्यमिक (सेकेंडरी) स्तर के सभी स्कूलों को समाप्त कर दिया है। अब या तो स्कूल अपर प्राइमरी होंगे या सीधे सीनियर सेकेंडरी। इस बदलाव के तहत 31 अपर प्राइमरी स्कूलों को सीधे सीनियर सेकेंडरी में अपग्रेड कर दिया गया है।

इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य छात्रों को कक्षा 8 के बाद स्कूल बदलने की मजबूरी से छुटकारा दिलाना है। पहले, कई गांवों और कस्बों में 8वीं कक्षा तक अपर प्राइमरी स्कूल होते थे, जिसके बाद छात्रों को 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए सेकेंडरी स्कूल में जाना पड़ता था। 10वीं के बाद, 11वीं-12वीं की पढ़ाई के लिए फिर से सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रवेश लेना पड़ता था। यह प्रक्रिया न केवल छात्रों के लिए असुविधाजनक थी, बल्कि कई बार दूरी और परिवहन की दिक्कत के कारण पढ़ाई भी छूट जाती थी।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब नए ढांचे में कक्षा 1 से लेकर 12 तक की पढ़ाई एक ही परिसर में होगी। इससे छात्रों को निरंतरता मिलेगी और उनका समय व खर्च दोनों बचेंगे। खासकर ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए यह बदलाव काफी मददगार साबित होगा, क्योंकि उन्हें अब उच्च कक्षाओं की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव या कस्बों में नहीं जाना पड़ेगा।

अपर प्राइमरी से सीधे सीनियर सेकेंडरी में अपग्रेड करने का फैसला प्रदेश के शिक्षा सुधार अभियान का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इस कदम से शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि एक ही संस्थान में निरंतर पढ़ाई से शिक्षक और छात्रों के बीच बेहतर तालमेल बन सकेगा।

शिक्षकों का भी कहना है कि इससे वे लंबे समय तक एक ही बैच के साथ काम कर पाएंगे, जिससे छात्रों की कमजोरियों और क्षमताओं को बेहतर तरीके से समझकर पढ़ाया जा सकेगा। वहीं, अभिभावकों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बच्चों को बार-बार नए माहौल में ढलने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनकी पढ़ाई पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा।

हालांकि, इस बदलाव को लागू करने में कई चुनौतियां भी होंगी, जैसे कि सीनियर सेकेंडरी स्तर की पढ़ाई के लिए आवश्यक शिक्षक और प्रयोगशालाओं की व्यवस्था करना। शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया है कि नई संरचना के अनुसार सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे और जहां कमी होगी, वहां जल्द नियुक्तियां और सुविधाएं दी जाएंगी।

इस ऐतिहासिक बदलाव के साथ राजस्थान देश का ऐसा राज्य बन गया है जहां अब कोई भी अलग से सेकेंडरी स्कूल नहीं होगा। शिक्षा विभाग का कहना है कि यह मॉडल आने वाले समय में दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।

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