राजस्थान में 8 से 12 अगस्त तक बारिश के आसार..
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राजस्थान में 8 से 12 तक बरसात के आसार

पूर्वी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश संभव

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उदयपुर  राजस्थान के लोगों को अगले कुछ दिनों में गर्मी से कुछ राहत मिलने की संभावना है क्योंकि राज्य के पूर्वी हिस्सों में मानसून एक बार फिर सक्रिय होने जा रहा है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, 8 अगस्त से 12 अगस्त तक पूर्वी राजस्थान के कई इलाकों में बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। खासतौर पर भरतपुर, कोटा, जयपुर और उदयपुर संभाग के जिलों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की जा सकती है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र और अरब सागर से मिल रही नमी की वजह से राज्य के पूर्वी हिस्सों में वर्षा की स्थिति बन रही है। हालांकि पश्चिमी राजस्थान के जिलों में बारिश की संभावना कम बनी हुई है लेकिन कुछ स्थानों पर बादलों की आवाजाही और हल्की बूंदाबांदी से मौसम सुहाना बना रह सकता है।

जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और अलवर जैसे जिलों में बुधवार से ही बादलों की आवाजाही बनी हुई है और कई इलाकों में रात के समय हल्की बारिश देखने को मिली है। आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में रुक-रुक कर बारिश जारी रहने की संभावना जताई जा रही है।

बारिश की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने निचले इलाकों में सतर्कता बरतने की अपील की है। खासकर स्कूलों, सरकारी दफ्तरों और किसानों को यह सलाह दी गई है कि मौसम की ताजा जानकारी पर लगातार नजर रखें ताकि फसलों को होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

राज्य के मौसम विभाग प्रमुख ने बताया कि बारिश की तीव्रता अलग-अलग क्षेत्रों में अलग हो सकती है लेकिन कुल मिलाकर वातावरण में नमी बनी रहने से दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी जिससे आम जन को गर्मी से राहत मिलेगी।

इस बीच, पर्यटकों के लिए यह समय बेहद खास हो सकता है क्योंकि बारिश के चलते झीलें, पहाड़ी स्थल और हरियाली से भरपूर नजारे देखने को मिल सकते हैं। हालांकि ट्रैवल करने वालों को सलाह दी गई है कि वे मौसम के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए अपनी योजना बनाएं।

राजस्थान में सावन का महीना वैसे ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विशेष होता है और अगर मौसम मेहरबान रहा तो आमजन के साथ-साथ किसानों और कारोबारियों के चेहरे भी खिले रहेंगे। अब सभी की निगाहें अगले कुछ दिनों पर टिकी हैं, जब आसमान से राहत की बूंदें गिरेंगी और धरती की तपन कुछ हद तक कम होगी।

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