ड्रोन दहशत पर योगी की सख्त चेतावनी
सीएम योगी ने कहा- जरूरत पड़ी तो NSA और गैंगस्टर एक्ट लगेगा, बिना अनुमति ड्रोन पूरी तरह बैन
उत्तर प्रदेश में अब ड्रोन के जरिए दहशत फैलाने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति ड्रोन का इस्तेमाल कानून व्यवस्था को बिगाड़ने, डर का माहौल बनाने या किसी आपराधिक गतिविधि के लिए करेगा, उस पर गैंगस्टर एक्ट और जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) भी लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी जिलों में ड्रोन से निगरानी की प्रभावी व्यवस्था की जाए, लेकिन साथ ही ड्रोन के दुरुपयोग पर कठोर कार्रवाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि अब किसी को भी बिना प्रशासन की अनुमति के ड्रोन उड़ाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह आदेश न केवल अपराधियों और असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए है, बल्कि जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
हाल के समय में कुछ स्थानों पर ड्रोन का गलत इस्तेमाल सामने आया है, जैसे धार्मिक स्थलों, संवेदनशील इलाकों या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बिना अनुमति के ड्रोन उड़ाए गए। इससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी है, क्योंकि इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए भी हो सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री का यह कदम प्रदेश में सुरक्षा की दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि ड्रोन का उपयोग करने वालों को पहले प्रशासन से अनुमति लेनी होगी, विशेष रूप से यदि वह किसी सार्वजनिक कार्यक्रम, धार्मिक आयोजन, या भीड़-भाड़ वाले इलाके में किया जा रहा हो। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ड्रोन उड़ाने वालों की निगरानी रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल कार्रवाई के लिए उपलब्ध कराएं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नई तकनीकों का उपयोग समाज और सरकार के विकास के लिए होना चाहिए, न कि आतंक और अपराध फैलाने के लिए। जो लोग तकनीक का गलत इस्तेमाल करेंगे, उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।
प्रदेश की जनता ने भी मुख्यमंत्री योगी की इस सख्ती की सराहना की है। लोगों का कहना है कि इससे असामाजिक तत्वों में डर पैदा होगा और आम नागरिक खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
योगी सरकार पहले भी कानून-व्यवस्था के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती रही है, और यह निर्णय उसी नीति का विस्तार है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां इस आदेश को कितनी गंभीरता से लागू करती हैं।