कल है अष्टमी: महागौरी पूजन का शुभ मुहूर्त…
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर जानें मां महागौरी की पूजा विधि, आरती, मंत्र, भोग और शुभ रंग…
चैत्र नवरात्रि 2025 का आठवां दिन, यानी अष्टमी तिथि, 7 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। मां दुर्गा के आठवें स्वरूप के रूप में पूजनीय महागौरी सौंदर्य, शांति और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो श्रद्धालु अष्टमी को सच्चे मन से मां महागौरी का पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
अष्टमी तिथि का आरंभ 6 अप्रैल की रात 9:26 बजे से हो जाएगा और यह 7 अप्रैल को रात 8:07 बजे तक रहेगी। महागौरी पूजन का शुभ मुहूर्त 7 अप्रैल को सुबह 6:15 से 8:45 बजे तक का माना जा रहा है। इस दौरान पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पूजा के दौरान मां महागौरी को सफेद वस्त्र, सफेद फूल, नारियल, और चावल अर्पित करने की परंपरा है। उन्हें सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है। भक्तगण मां को कच्चे दूध और हलवे का भोग अर्पित करते हैं। बालिकाओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन करवाने की परंपरा भी अष्टमी के दिन निभाई जाती है, जिसे कन्या पूजन कहा जाता है।
महागौरी देवी का ध्यान मंत्र है:
ॐ देवी महागौर्यै नमः
और आरती इस प्रकार की जाती है:
“जय महागौरी जगत की माई, कृपा करो मुझ पर भगवती माई…”
ऐसा कहा जाता है कि मां महागौरी की पूजा से विशेषकर विवाह में आ रही अड़चनों से मुक्ति मिलती है। अविवाहित कन्याएं इस दिन मां से योग्य वर की प्रार्थना करती हैं और विवाहित स्त्रियां सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत सुंदर, गोरा और शांत है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और बैल पर सवार होती हैं। उनके चारों हाथों में त्रिशूल, डमरू, अभय और वरमुद्रा होती हैं। उनकी पूजा करने से सभी दोषों का नाश होता है और शुद्धता का भाव जाग्रत होता है।
अष्टमी पर देशभर के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और लाखों श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए कतारबद्ध होते हैं। खासकर उत्तर भारत में इस दिन का खास महत्व होता है। मां के जयकारों से मंदिर और घरों की फिजा भक्तिमय हो जाती है।
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