म्यांमार में 7.7 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप, भारी तबाही
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म्यांमार में 7.7 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप ..

एक ही दिन में छह बार कांपी धरती, 730 घायल 144 की मौत..

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नई दिल्ली : म्यांमार और पड़ोसी देश थाईलैंड में शुक्रवार को विनाशकारी भूकंप के तेज झटकों ने भारी तबाही मचाई। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई, जिसका केंद्र म्यांमार के मांडले शहर के पास था। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 144 लोगों की मौत हो चुकी है और 730 से अधिक लोग घायल हुए हैं। लगातार आए झटकों से इलाके में दहशत का माहौल है और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
भूकंप के कारण कई ऊंची इमारतें गिर गईं, पुलों को नुकसान पहुंचा और कई बांधों में दरारें आ गईं। दोपहर करीब 12 बजे पहला झटका महसूस किया गया, जिसके तुरंत बाद 6.4 तीव्रता का एक और भूकंप आया। इसके बाद भी आफ्टरशॉक्स का सिलसिला जारी रहा, जिसमें 4.4, 4.9, 5.0, 7.0 और 7.2 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से संवेदनशील है और उथली गहराई पर आए भूकंप अधिक खतरनाक होते हैं, जिससे सतह पर अधिक ऊर्जा निकलती है और नुकसान ज्यादा होता है।
मांडले और यांगून जैसे प्रमुख शहरों में सबसे अधिक तबाही देखने को मिली। सड़कें फट गई हैं, बिजली के खंभे गिर गए हैं और कई इलाके अंधेरे में डूब गए हैं। स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन मलबे में दबे लोगों की तलाश में दिक्कतें आ रही हैं। अस्पतालों में घायलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं।
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में अपने घरों से बाहर भागने लगे। सरकार ने आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी है और अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। भारतीय राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, यह आफ्टरशॉक्स के लिए अतिसंवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए अगले कुछ घंटों में और झटकों की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
इस आपदा के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि कई औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुनर्निर्माण में लंबा समय लग सकता है और सरकार को बड़े स्तर पर राहत कार्य चलाने होंगे। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में सेना और स्वयंसेवी संगठनों को भी राहत कार्यों में लगाया गया है ताकि हालात को जल्द से जल्द सामान्य किया जा सके।
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