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46वें चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन में डॉ. चेतना पाठक ने अपने गायन की मधुर लहरियों से श्रोताओं का समां बांधा

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चंडीग़ढ़  इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से  स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय 46वां वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के अंतिम दिन हिंदुस्तानी संगीत की डॉ. चेतना पाठक ने अपने गायन से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने गायन की मधुर लहरियों से श्रोताओं का समां बांधे रखा और श्रोताओं से खूब प्रशंसा बटौरी।

उन्होंने अपने गायन की शुरुआत राग बसंत मुखारी से की, जिसमें उन्होंने विलम्ब ख्याल ‘सोच समझ मन मेरे बावरे, सुख दुख ये सब खेल तोहरे कर्म के’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। इसके पश्चात उन्होंने एक द्रुत बंदिश मन बावरे नही जाने’ बखूबी प्रस्तुत की। उन्होंने इसी राग में एक तराना सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया।

उन्होंने अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राग गुजरी तोडी में मध्यलय रूपक में ‘गिरिधर श्याम हरत चितवन’ प्रस्तुत किया जिसके पश्चात उन्होंने छोटा ख्याल ‘लागी रे लगन मनमोहन संग’ सुना कर कर आनंद प्रदान किया। उन्होंने इसी राग में छोटा ख्याल सावरिया’ अब तो आजा’ बखूबी प्रस्तुत किया।

उन्होंने राग कनकांगी में एक अत्यंत सुंदर ठुमरी सुनाई।,जिसके पश्चात उन्होंने माज खमाज में ‘जमुना किनारे मोरा गांव’ प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने गायन का समापन राग भैरवी में निबद्ध एक सुंदर भजन ‘जगत जननी भवतारिणी’ सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

डॉ. चेतना पाठक किराना घराने की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका है जो कि पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता माननीय डॉ. प्रभा अत्रे की परम शिष्या हैं। वह किराना घराने के पथप्रदर्शकों में से एक हैं, जिन्हें उनकी मां मदना और पिता रामनारायण ने आठ साल की उम्र में संगीत की शिक्षा दी थी। चेतना को ग्वालियर घराने के उस्ताद पंडित बाला साहेब पूंछवाले से टप्पा गायकी की शिक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। चेतना क्लासिकल वोकल और लाइट क्लासिकल वोकल (ठुमरी, दादरा, टप्पा) श्रेणियों में ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ए ग्रेड कलाकार हैं।

कार्यक्रम के दौरान कलाकार के साथ तबले पर विनोद लेले तथा हारमोनियम पर परोमिता मुखर्जी, उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन सभी संगीत प्रेमियों के लिये आयोजित किया गया था जिसमें में प्रवेश निःशुल्क था।

इस अवसर पर इंडियन नेशनल थियेटर के प्रेसिडेंट अनिल नेहरू व सैकेटरी विनीता गुप्ता ने बताया कि शहर में आयोजित हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शहरवासियों ने शास्त्रीय संगीत के प्रति जो प्यार दिखाया वह सरहानीय है। उन्होंने कहा कि संगीत सम्मेलन की यह कड़ी भविष्य में भी इस प्रकार से अपनी परम्परा निभाने में कायम रहेगी। उन्होंने सभी कलाकारों द्वारा सम्मेलन को चार चांद लगाने पर अपना आभार जताया।

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