खाने से पहले और खाने के बाद कितना होना चाहिये ब्लड शुगर?
Health Tips: डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिजीज है जिसमें ब्लड में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है। इंसुलिन का बनना बॉडी के लिए बेहद जरूरी है। इंसुलिन ही ब्लड से ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाता है जिससे बॉडी को एनर्जी मिलती है। ग्लूकोज हमारे ब्लड में पाया जाता है जो हमारी बॉडी में एनर्जी के मुख्य स्रोत के रूप में काम करता है। पाचन के दौरान, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, स्टार्च और फाइबर होते हैं वो ग्लूकोज में बदल जाते हैं। हमारी बॉडी इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करती है, और जो एनर्जी कोशिकाओं में यूज नहीं होती उसे बाद के लिए स्टोर करके रखती है।
ब्लड शुगर का स्तर हमारी डाइट, उम्र, तनाव, बॉडी एक्टिविटी,धूम्रपान और शराब का सेवन करने से प्रभावित होता है। अगर आप टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हैं तो नियामित रूप से अपने ब्लड में शुगर के स्तर की जांच करें। ब्लड जांच करने से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि दवा, डाइट और शारीरिक गतिविधियां शुगर को कैसे प्रभावित करती हैं। जांच से आप ब्लड में शुगर के स्तर का पता जल्दी लगा सकते हैं।
डायबिटीज को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है वरना इसके बढ़ने से अंधापन, दिल का दौरा और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। डायबिटीज के बढ़ने से स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है। आप भी डायबिटीज के शिकार हैं तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि खाने से पहले और खाने के बाद आपका ब्लड शुगर कितना होना चाहिये।
खाने से पहले कितना होना चाहिए शुगर लेवल: सुबह खाली पेट हमारा ब्लड शुगर 70 से 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच में होता है जिसे फॉस्टिंग शुगर कहते हैं। सुबह खाली पेट जिन लोगों के ब्लड में शुगर का स्तर 100 से 126 mg/dl के बीच होता है उनमें प्री डायबिटीज के लक्षण मौजूद होते हैं। अगर ब्लड में शुगर का स्तर 130 mg/dl या उससे अधिक होता है तो आप डायबिटीज के शिकार हैं।
शुगर का बढ़ना कब खतरनाक होता है: अगर ब्लड में शुगर का स्तर 200 से 400 mg/dl के बीच है तो यह खतरनाक साबित होता है। इस स्थिति में मरीज के बॉडी में बाकी आर्गन को खतरा हो सकता है। ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रॉक और मल्टीपल आर्गन फेलियर हो सकता है।
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