चंडीगढ़ : में एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 29 हफ्ते का गर्भ गिराने की अनुमति अदालत से नहीं मिल सकी। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए हैं ताकि यह तय किया जा सके कि गर्भपात पीड़िता के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है या नहीं। पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि जनवरी 2023 में आरोपी ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और इस घिनौने कृत्य का वीडियो भी बना लिया। इसके बाद आरोपी ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर लंबे समय तक उसका यौन शोषण किया। जब इस बात का पता चला तो परिजनों ने उसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद मामला अदालत तक पहुंचा।
नाबालिग होने के कारण पीड़िता मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद असहाय स्थिति में है और अब वह 29 हफ्तों की गर्भवती है। मौजूदा कानून के तहत 24 हफ्तों के बाद गर्भपात की अनुमति विशेष परिस्थितियों में ही दी जा सकती है, जिसमें मेडिकल बोर्ड की राय निर्णायक मानी जाती है। इसीलिए कोर्ट ने फिलहाल गर्भपात की अनुमति नहीं दी है और मेडिकल विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है जो पीड़िता की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन करेगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि गर्भपात संभव है या नहीं।
इस मामले ने एक बार फिर महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता और उसके परिवार की मानसिक स्थिति बेहद खराब है और वे जल्द से जल्द न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। राज्य सरकार और महिला आयोग ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और मेडिकल प्रक्रिया तेज करने की मांग की है। वहीं आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।
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