पीजीआई में इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से सर्जरी अब हुई आसान
पीजीआई में नई तकनीक से सर्जरी प्रक्रिया हुई सुरक्षित और सरल
चंडीगढ़ : पीजीआई के विशेषज्ञों ने डायग्नोसिस में एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके पित्त की नली से संबंधित बीमारियों की सर्जरी को आसान और सुरक्षित बना दिया है। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. जयंता समंता ने बताया कि पित्त की नली ब्लॉक होने की स्थिति में इस नई तकनीक का इस्तेमाल कर सर्जरी के जोखिम को कम किया जा सकता है।
पित्त की नली ब्लॉक होने के दो मुख्य कारण होते हैं: पथरी का फंसना या सिकुड़ना, और कैंसर। कैंसर के मामलों में उपचार प्रोटोकॉल अलग होता है, लेकिन पथरी या सिकुड़न के कारण ब्लॉक होने पर सामान्यत: सीआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कॉलांजियोपैंक्रियोटोमोग्राफी) की जाती है। इसमें पित्त की नली को खोलने के लिए तार का उपयोग कर पथरी निकाली जाती है, लेकिन अक्सर इस प्रक्रिया में पित्त की नली के सिकुड़ जाने से समस्या होती है।
नई तकनीक का उपयोग करके एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड को अंदर ले जाया जाता है, जिससे पित्त की नली और आंत की स्पष्ट छवि प्राप्त होती है। इससे सुई के माध्यम से पित्त की थैली को आसानी से पंचर किया जा सकता है, जबकि पूर्ववर्ती तकनीकों में नसों के कटने का खतरा होता था, जिससे पैंक्रियाटाइटिस जैसी जटिलताएँ हो सकती थीं।
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