24 साल बाद सजा तय, नहीं मिली राहत
74 साल की महिला को इमिग्रेशन फ्रॉड में दोषी ठहराया, हाईकोर्ट ने सहानुभूति से इनकार किया…..
चंडीगढ़: पंजाब की बठिंडा निवासी 74 वर्षीय चरनजीत कौर को 24 साल पुराने इमिग्रेशन फ्रॉड मामले में राहत नहीं मिली है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ उम्र के आधार पर किसी को सजा से छूट नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों में सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती, जो वर्षों पहले किए गए हों लेकिन जिनका असर आज भी दिखता हो।
मामला वर्ष 1999 का है जब चरनजीत कौर ने अपने साथी के साथ मिलकर दो लोगों को कनाडा भेजने के नाम पर उनसे 15 लाख रुपये ठग लिए थे। पीड़ितों की ओर से शिकायत मिलने पर 2000 में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। चार्जशीट दाखिल होने और ट्रायल के बाद निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी और अपनी उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सजा में राहत की मांग की थी।
हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि यह मामला केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि एक गहरे सामाजिक और आर्थिक अपराध का है। इमिग्रेशन फ्रॉड जैसे अपराधों से न केवल पीड़ितों को आर्थिक नुकसान होता है बल्कि इससे विदेशों में भारत की छवि भी धूमिल होती है। अदालत ने टिप्पणी की कि उम्र के आधार पर अपराधों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और दोषसिद्धि को न्यायहित में बरकरार रखना आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समाज में भरोसे की रक्षा के लिए ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है। भले ही आरोपी अब बुजुर्ग हो चुकी हों, लेकिन जब अपराध किया गया तब वह पूर्ण रूप से सक्षम थीं और जानबूझकर ठगी की थी। अदालत का यह फैसला न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है बल्कि समाज को भी एक संदेश देता है कि कानून से कोई ऊपर नहीं है।
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