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हरियाली तीज व्रत पूजा, कुंवारी कन्याएं कैसे रखे व्रत

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Jaipur/Mathura: हरियाली तीज दांपत्‍य जीवन में खुशहाल के लिए मनाया जाने वाला त्‍योहार है जो कि हर साल श्रावण मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूजापाठ के साथ-साथ 16 श्रृंगार करती हैं, हाथों में हरी-हरी मेंहदी लगाती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्‍त करती हैं। न सिर्फ सुहागिन महिलाएं बल्कि कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्‍य वर पाने के लिए यह व्रत कर सकती हैं।

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, सावन का महीना पति-पत्‍नी के रिश्‍ते के लिए बहुत खास माना जाता है। प्रेम और प्रणय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के इस महीने में कई ऐसी शुभ तिथियां आती हैं, जब पति और पत्‍नी के रिश्‍ते की खुशियां मनाई जाती हैं। इन्‍हीं में से एक है हरियाली तीज। हर वर्ष सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और सुहाग की सभी सामिग्री माता पार्वती को अर्पित करके उनसे पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्‍त करती हैं। आइए आपको बताते हैं इस व्रत का महत्‍व और कैसे की जाती है पूजा। साथ ही यह भी जानिए कि क्‍या कुंवारी कन्‍याएं इस व्रत को कर सकती हैं।

हरियाली तीज का महत्‍व

हर‍ियाली तीज के दिन कुछ स्‍थानों पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत करती हैं जबकि कुछ स्‍थानों पर महिलाएं पूजा करने के बाद आहार ग्रहण कर लेती हैं। इस दिन को लेकर यह मान्‍यता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से खुश होकर उनसे विवाह करने का वचन दिया था। सावन का महीना हरियाली को समर्पित होता है इसलिए इस दिन हरे वस्‍त्र, हरी चूड़ियां पहनती हैं और हाथों में हरी-हरी मेंहदी लगाती हैं। मान्‍यता है कि ऐसा करने से माता पार्वती प्रसन्‍न होकर सदा सौभाग्‍यवती रहने का आशीर्वाद देती हैं।

कैसे की जाती है पूजा

इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सुंदर वस्‍त्र धारण करती हैं और हाथों में मेंहदी के साथ पैरों में रंग लगाती हैं। इसके बाद महिलाएं समूह में एकत्र होकर हरियाली तीज की पूजा करती हैं। कुछ महिलाएं बाग और बगीचों में जाकर माता पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्‍त्रों और हरे पत्‍तों से सजाती हैं तो वहीं कुछ महिलाएं घर पर ही पूजा करती हैं। पूजा में सुहाग की सभी सामिग्री के साथ, रुपये और उपहार रखा जाता है। पूजा करने के बाद महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं और फिर सुहाग की सामिग्री, पैसे और उपहार अपनी सास या ननद को उपहार में देकर उनके चरण स्‍पर्श करके आशीर्वाद लेती हैं।

क्‍या कुंवारी कन्‍याएं रख सकती हैं यह व्रत ?

कुछ स्‍थानों पर कुंवारी कन्‍याएं भी यह व्रत करती हैं। इसके पीछे आशय यह होता है कि जिस प्रकार तपस्‍या करने से माता पार्वती को भगवान शिव जैसे पति की प्राप्ति हुई, वैसे ही व्रत करके और शिव-पार्वती की पूजा करके उन्‍हें भी भविष्‍य में अच्‍छा जीवनसाथी मिले। इसलिए कुछ घरों में कुंवारी कन्‍याओं को भी यह व्र‍त करवाया जाता है।

ऐसी मान्‍यता है माता पार्वती के कहने पर शिवजी ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी कुंवारी कन्‍या इस व्रत को करेगी उसे मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होगी और विवाह में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होंगी। कन्‍याएं अगर यह व्रत करना चाहती हैं तो सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें और यदि आप निर्जला व्रत नहीं कर सकती हैं तो फलाहार करते हुए इस व्रत को करने का संकल्‍प लें। इस दिन बेहतर होगा कि नए और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनकर शिवजी और माता पार्वती की पूजा करें। शिव मंत्रों का जप करें और शिव चालीसा का पाठ करें और रात में चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर भोजन ग्रहण करें।

  • हरियाली तीज पर माता-पिता द्वारा भेजे गए वस्‍त्र पहनकर पूजा करना सबसे अच्‍छा माना जाता है।
  • इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं को व्रत कथा जरूर ही सुननी चाहिए।
  • इस दिन महिलाओं को हो सके तो पति के साथ झूला जरूर झूलना चाहिए। ऐसा करने से उनके जीवन में खुशहाली आती है।
  • यह व्रत पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए है। ऐसे में जीवनसाथी को धोखा न दें या झूठ न बोलें।
  • इस दिन प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
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