10 साल के श्रवण को सेना का इनाम
ऑपरेशन सिंदूर में सैनिकों की मदद करने पर पढ़ाई का खर्च उठाएगी सेना…..
चंडीगढ़ के तारा वाली गांव के एक छोटे से बच्चे ने वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े लोग भी नहीं कर पाते। 10 साल के श्रवण सिंह, जिसने अपनी मासूम उम्र में भारतीय सेना के प्रति ऐसा समर्पण दिखाया कि देशभर में उसकी चर्चा हो रही है। यह सब हुआ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब सेना का एक दल तारा वाली गांव में तैनात था।
श्रवण सिंह ने इन सैनिकों को चाय और पानी पिलाकर उनकी सेवा की। उस वक़्त शायद उसे अंदाज़ा नहीं था कि उसकी यह छोटी-सी मदद कितनी बड़ी बात बन जाएगी। लेकिन सैनिकों ने उस मासूम के भाव को समझा और उसे भूल नहीं पाए।
भारतीय सेना ने श्रवण की सेवा भावना और समर्पण को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि अब श्रवण की पूरी पढ़ाई का खर्च भारतीय सेना उठाएगी। इस फैसले से श्रवण का परिवार तो भावुक हुआ ही, पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गांववालों ने श्रवण को गर्व से देखा और उसकी मां की आंखें नम हो गईं।
श्रवण के पिता एक खेतिहर मजदूर हैं, और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पढ़ाई का खर्च उनके लिए एक बड़ी चिंता थी। लेकिन अब सेना के इस फैसले ने उनके सिर से वह बोझ हटा दिया है।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान श्रवण ने खुद से कई बार आकर जवानों को चाय-पानी पिलाया, उनके लिए छोटी-मोटी चीज़ें लाने में मदद की, और अपनी मासूम मुस्कान से सबका मन जीत लिया। यह भाव ही भारतीय संस्कृति की असली पहचान है — जहां एक छोटा बच्चा भी देश की सेवा में जुटा दिखता है।
अब सेना की तरफ से श्रवण को न केवल शिक्षा में मदद दी जाएगी, बल्कि उसकी क्षमताओं को और निखारने के लिए उसे हर संभव सहयोग भी मिलेगा। यह फैसला यह दर्शाता है कि सेना सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, समाज के हर कोने में प्रेरणा और सहयोग का प्रतीक है।
श्रवण सिंह अब गांव के बच्चों के लिए एक मिसाल बन चुका है। शिक्षक कहते हैं कि उसमें सीखने की गहरी ललक है और अब जब उसका भविष्य सुरक्षित हाथों में है, तो वह जरूर कुछ बड़ा करेगा। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि देशभक्ति किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। श्रवण की मासूम सेवा भावना एक ऐसा उदाहरण है, जो हर भारतीय के दिल को छू जाती है।
Comments are closed.