1 सितंबर से सिल्वर ज्वेलरी हॉलमार्क अनिवार्य
सस्ते रूसी तेल का नहीं मिलेगा सीधा लाभ, UPI से पैसे मांगने की सुविधा बंद होगी…
देश में 1 सितंबर से सिल्वर ज्वेलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी। इसका मतलब है कि अब बाजार में बिकने वाली चांदी के गहनों और बर्तनों पर भी शुद्धता का प्रमाण मिलेगा, ठीक वैसे ही जैसे सोने के गहनों पर मिलता है। उपभोक्ताओं के लिए यह बदलाव इसलिए अहम है क्योंकि अब उन्हें खरीदी गई चांदी की क्वालिटी को लेकर भरोसा रहेगा और नकली या कम शुद्धता वाले उत्पादों से बचाव होगा।
सरकार का कहना है कि हॉलमार्किंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और चांदी के कारोबार में धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी। ज्वेलर्स को भी अब अपने उत्पादों की शुद्धता का प्रमाण देना होगा, जिसके लिए उन्हें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से प्रमाणन कराना होगा। हालांकि, छोटे ज्वेलर्स को शुरू में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन लंबे समय में यह कदम उपभोक्ता और उद्योग दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
इसी बीच, एक और खबर आम आदमी की जेब से जुड़ी है—रूस से सस्ते दामों पर मिल रहे कच्चे तेल का फायदा सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नहीं दिखेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार इन बचतों का इस्तेमाल राजस्व और सब्सिडी संतुलन के लिए कर रही है, न कि पंप पर कीमतें घटाने के लिए। इसलिए, उपभोक्ताओं को फिलहाल ईंधन की दरों में बड़ी राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
डिजिटल पेमेंट के मोर्चे पर भी एक बदलाव आने वाला है। अब UPI के जरिए पैसे मांगने की रिक्वेस्ट भेजने की सुविधा बंद हो जाएगी। यह फीचर अभी तक उन लोगों के लिए उपयोगी था जो सामने वाले से भुगतान मांगना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा और दुरुपयोग की शिकायतों के कारण इसे बंद किया जा रहा है। UPI से लेन-देन की बाकी सुविधाएं पहले की तरह चालू रहेंगी, लेकिन “पेमेंट रिक्वेस्ट” का विकल्प अब उपलब्ध नहीं होगा।
इन तीनों बदलावों का असर अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ेगा। जहां सिल्वर ज्वेलरी की हॉलमार्किंग उपभोक्ता हित में है और बाजार में भरोसा बढ़ाएगी, वहीं सस्ते रूसी तेल का लाभ सीधे जनता को न मिल पाना थोड़ी निराशा का कारण बन सकता है। UPI रिक्वेस्ट फीचर हटने से डिजिटल लेन-देन में थोड़ी असुविधा हो सकती है, लेकिन इससे सुरक्षा मानकों में सुधार होगा।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ताओं को आने वाले समय में ऐसे बदलावों के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि सरकार और नियामक संस्थाएं लगातार पारदर्शिता, सुरक्षा और वैश्विक मानकों के अनुरूप सुधारों पर काम कर रही हैं।
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