हाईकोर्ट ने दुष्कर्मी पिता की सजा बदली
पलवल कोर्ट की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने 30 साल की कैद में बदला, नहीं माना ‘दुर्लभतम मामला’…..
चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने एक बेहद संवेदनशील और दर्दनाक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। साल 2020 में एक नाबालिग बेटी ने अपने पिता पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। मामला हरियाणा के पलवल जिले का था, जहां निचली अदालत ने पिता को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
लेकिन इस फैसले को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बदल दिया है। हाईकोर्ट का कहना है कि यह मामला ‘दुर्लभतम में दुर्लभ’ श्रेणी में नहीं आता, जिसके तहत फांसी की सजा दी जा सके। अदालत ने इस आधार पर सजा को कम करते हुए अब दोषी पिता को 30 वर्ष की कठोर कैद की सजा सुनाई है।
यह मामला सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि एक सामाजिक और भावनात्मक आघात का प्रतीक भी है। एक बच्ची के लिए अपने पिता के खिलाफ खड़ा होना शायद सबसे कठिन निर्णयों में से एक होता है। लेकिन जब वह न्याय की उम्मीद लेकर अदालत की शरण में जाती है, तो यह समाज के लिए एक संकेत होता है कि अब चुप्पी नहीं, न्याय की मांग प्राथमिकता है।
इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था। लड़की ने साहस दिखाते हुए अपने पिता के कुकर्म को सामने लाया, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और चार्जशीट दायर की। ट्रायल के दौरान पेश सबूतों और मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर निचली अदालत ने दोषी को मृत्युदंड दिया था।
हालांकि, हाईकोर्ट ने सजा पर पुनर्विचार करते हुए यह टिप्पणी की कि अपराध बेहद घृणित है, लेकिन इसे उस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जहां सिर्फ मौत की सजा ही विकल्प हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सुधार की संभावना और सजा का उद्देश्य भी देखा जाना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए दोषी की सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए 30 साल की सजा सुनाई गई है, जिसमें परोल की अनुमति नहीं होगी।
यह फैसला एक बार फिर इस बात को उजागर करता है कि कानून के दायरे में अपराध की गंभीरता के साथ-साथ सजा की उपयुक्तता पर भी विचार किया जाता है। इस मामले में भी अदालत ने संवेदनशीलता के साथ दोनों पक्षों को सुना और संविधानिक मूल्यों के अनुरूप निर्णय दिया।
जहां एक ओर यह बच्ची आज भी अपने बचपन के घावों के साथ जी रही है, वहीं यह निर्णय बताता है कि न्याय की प्रक्रिया कभी भी भावनात्मक दबाव में नहीं, बल्कि निष्पक्ष कानूनी मूल्यांकन के आधार पर आगे बढ़ती है।
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