हरियाणा में खट्टर प्रमोशन पॉलिसी पर अटकी मंजूरी
दो साल से लंबित पॉलिसी पर सैनी सरकार के निर्णय का इंतजार, देरी से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ी…..
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में तैयार की गई प्रमोशन पॉलिसी पिछले दो वर्षों से लागू होने का इंतजार कर रही है। यह पॉलिसी सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने के उद्देश्य से बनाई गई थी। पॉलिसी का मसौदा तैयार हो चुका है और फ्रेमवर्क भी अंतिम रूप में है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार से मंजूरी न मिलने के कारण यह अब भी लंबित है।
सूत्रों के अनुसार, इस पॉलिसी के लागू होने में तीन मुख्य कारणों से देरी हो रही है। पहला, सरकार द्वारा प्रशासनिक स्तर पर कुछ प्रावधानों की समीक्षा की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पॉलिसी का असर सभी विभागों पर समान रूप से पड़े। दूसरा, कुछ कर्मचारी संगठनों ने इस पॉलिसी में संशोधन की मांग की है, खासकर पदोन्नति के मानकों और अनुभव अवधि को लेकर। तीसरा, नई सरकार के आने के बाद कई अहम नीतिगत निर्णय प्राथमिकता सूची में चले गए, जिससे इस पर अंतिम मुहर लगाने में समय लग रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि पॉलिसी लागू होने से लंबे समय से रुकी पदोन्नतियों को रास्ता मिलेगा और रिक्त पदों पर योग्य उम्मीदवार बैठाए जा सकेंगे। वे आरोप लगाते हैं कि देरी से न केवल कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है बल्कि प्रशासनिक कार्यक्षमता पर भी असर पड़ रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर ने इस पॉलिसी को 2023 की शुरुआत में पेश किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव और फिर सरकार में बदलाव के कारण यह ठंडे बस्ते में चली गई। अब कर्मचारी संगठनों की नज़र मौजूदा सरकार के फैसले पर है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इस पर निर्णय नहीं लिया गया, तो वे विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।
वित्त और कार्मिक विभाग के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि पॉलिसी को लागू करने से पहले सभी कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं की समीक्षा आवश्यक है। मुख्यमंत्री सैनी के कार्यालय से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि आगामी कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है।
सरकारी हलकों में यह भी चर्चा है कि प्रमोशन पॉलिसी लागू होने से कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के करियर में सकारात्मक बदलाव आएगा, जिससे प्रशासनिक ढांचा मजबूत होगा। अब देखना यह है कि दो साल से अटकी यह पॉलिसी कब हरी झंडी पाती है और कर्मचारियों की उम्मीदें कब पूरी होती हैं।