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हरियाणा कॉलेज दाखिले में पर्सेंटाइल पर मारामारी

सहायता प्राप्त कॉलेजों में 102 और सरकारी कॉलेजों में 98 पर रुका दाखिला, फिजिकल काउंसिलिंग 5 अगस्त को

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हरियाणा में कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए छात्रों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। सहायता प्राप्त कॉलेजों में पर्सेंटाइल 102 और सरकारी कॉलेजों में 98 तक जाकर रुका है, जिससे हजारों विद्यार्थियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। इस बार दाखिले की प्रक्रिया में जिस तरह से पर्सेंटाइल में तेजी आई है, उसने मेरिट के आधार पर चयन को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जिन छात्रों की पर्सेंटाइल 98 से कम है, उन्हें अब बची हुई सीटों के लिए 5 अगस्त को आयोजित होने वाली फिजिकल काउंसिलिंग में भाग लेना होगा। वहीं 6 अगस्त को पोर्टल फिर से खोला जाएगा, ताकि जो छात्र पहले से पंजीकरण कर चुके हैं, वे अपने आवेदन में संशोधन कर सकें या नए आवेदन जमा कर सकें।

छात्रों और अभिभावकों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कई छात्रों ने उच्च प्रतिशत और पर्सेंटाइल होने के बावजूद अपनी पसंद के कॉलेज में सीट न मिलने की शिकायत की है। वहीं कई कॉलेजों में सीमित सीटों के कारण छात्रों को वैकल्पिक कॉलेजों की ओर रुख करना पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अधिक से अधिक छात्रों को दाखिले में मदद करें और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएं। विभाग का मानना है कि दाखिले में पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन से ही छात्रों का विश्वास बना रह सकता है।

हरियाणा के विभिन्न जिलों में स्थित कॉलेजों में अब भी कुछ सीटें शेष हैं, खासकर सामान्य और पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में। ऐसे में जिन छात्रों को अभी तक सीट नहीं मिल पाई है, वे 5 अगस्त को संबंधित कॉलेज जाकर फिजिकल काउंसिलिंग में भाग ले सकते हैं। छात्रों को सलाह दी गई है कि वे संबंधित कॉलेज की वेबसाइट या पोर्टल पर जाकर समय-समय पर अपडेट लेते रहें। इसके अलावा यदि किसी छात्र को पोर्टल संचालन में कोई दिक्कत आती है तो हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।

दूसरी ओर, कॉलेज प्रशासन की ओर से बताया गया है कि इस बार दाखिले में प्रतिस्पर्धा पहले से कहीं अधिक है। प्रमुख कोर्सेज जैसे बीए, बीकॉम और बीएससी में सीमित सीटों के कारण छात्रों को वैकल्पिक कोर्सेज या शिफ्टिंग कॉलेज का विकल्प अपनाना पड़ रहा है। दाखिले की इस प्रक्रिया में छात्रों की उम्मीदें और तनाव दोनों चरम पर हैं। ऐसे में कॉलेज प्रशासन से लेकर सरकार तक, सभी की जिम्मेदारी है कि प्रक्रिया को सुगम, सुलभ और न्यायसंगत बनाया जाए, ताकि हर योग्य छात्र को उसका स्थान मिल सके।

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