सावन में भी सोने-चांदी के दाम आसमान पर
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सावन में भी सोने-चांदी के भाव उफान पर

खरीदार कम, लेकिन कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर

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जयपुर के सर्राफा बाजार में सावन का महीना होने के बावजूद सोने और चांदी की चमक बरकरार है। आमतौर पर इस मौसम में धार्मिक गतिविधियों के चलते बाजारों में थोड़ा ठहराव आता है, लेकिन इस बार हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। शुद्ध सोना जहां 103,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है, वहीं चांदी ने भी 1,16,700 रुपये प्रति किलो के आंकड़े को छूकर नया रिकॉर्ड बनाया है।

इस तेजी के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारण बताए जा रहे हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर चल रही आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों की वजह से निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, और सोना-चांदी हमेशा से ही संकट के समय सबसे भरोसेमंद निवेश माने जाते रहे हैं। इसके अलावा डॉलर की तुलना में रुपये की कमजोरी भी कीमती धातुओं की कीमतों को ऊपर धकेलने में बड़ी भूमिका निभा रही है।

हालांकि सर्राफा बाजार में खरीदारी की रफ्तार फिलहाल धीमी है। सावन के महीने में विवाह या अन्य बड़े मांगलिक आयोजनों की संख्या कम होती है, जिस कारण लोग बड़ी खरीद से बच रहे हैं। कई ग्राहक सिर्फ भाव पूछने आ रहे हैं लेकिन बहुत कम लोग वास्तविक खरीददारी कर रहे हैं। व्यापारी भी मानते हैं कि इस समय ज्यादातर खरीदार सिर्फ बाजार का रुख जानने आ रहे हैं, लेकिन निवेश का मन फिलहाल टाल रहे हैं।

एक स्थानीय जौहरी ने बताया कि कीमतें जिस रफ्तार से बढ़ रही हैं, उससे ग्राहकों में डर भी है कि कहीं खरीद के बाद दाम नीचे न आ जाएं। इसलिए लोग वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ अनुभवी निवेशकों का मानना है कि यह दीर्घकालिक निवेश के लिए सही समय हो सकता है, क्योंकि मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए सोने और चांदी की कीमतें निकट भविष्य में और भी ऊपर जा सकती हैं।

चांदी की कीमत में जो उछाल देखने को मिल रहा है, वह उद्योगों में बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण भी है। विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर पैनल्स जैसे सेक्टर में चांदी की मांग काफी बढ़ी है। वहीं सोने को लेकर धारणा यह बनी हुई है कि यह संकट के समय आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है, और यही वजह है कि निवेशक बैंकिंग या स्टॉक जैसे अस्थिर माध्यमों की बजाय सोने की ओर झुक रहे हैं।

बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले त्योहारों जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी के दौरान यदि कीमतों में थोड़ा भी सुधार आया तो बाजार में फिर से रौनक लौट सकती है। अभी के लिए व्यापारी उम्मीद और चिंता के बीच झूल रहे हैं और खरीदार असमंजस में हैं।

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