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संसद वक्फ बिल LIVE बिल नहीं लाते तो वक्फ बोर्ड संसद पर भी दावा करता..

संसद में वक्फ बिल पर तीखी बहस, सरकार ने किया बचाव..

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संसद में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। विपक्ष और सरकार आमने-सामने हैं, जहां एक ओर सरकार इस बिल को जरूरी बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे समुदाय विशेष के खिलाफ बताया जा रहा है। चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर यह बिल नहीं लाया जाता, तो वक्फ बोर्ड संसद भवन पर भी अपना दावा ठोक देता।

सरकार का तर्क है कि देशभर में वक्फ संपत्तियों को लेकर लगातार विवाद बढ़ रहे थे और कई मामलों में गलत तरीके से भूमि पर दावा करने के मामले सामने आए थे। इसे रोकने और जमीन संबंधी विवादों को स्पष्ट करने के लिए यह संशोधन बिल जरूरी था। सरकार का दावा है कि इस विधेयक से पारदर्शिता बढ़ेगी और गलत दावों को रोका जा सकेगा।

हालांकि, विपक्ष ने इस बिल पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार धार्मिक संस्थाओं को निशाना बना रही है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड के अधिकारों को सीमित करने और उनकी संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बिल के जरिए एक समुदाय विशेष को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

संसद में हुई तीखी बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में वक्फ बोर्ड द्वारा कई सरकारी संपत्तियों पर दावा किया गया था। ऐसे में, यदि समय रहते यह बिल नहीं लाया जाता, तो संभव है कि वक्फ बोर्ड संसद भवन पर भी अपना दावा ठोक देता। उनके इस बयान पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया और सदन में हंगामा हुआ।

सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि इस बिल का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व को स्पष्ट करना है ताकि भूमि विवादों को रोका जा सके। बिल के अनुसार, अब वक्फ संपत्तियों के दावे तभी मान्य होंगे जब उनके पास वैध दस्तावेज होंगे।

बिल पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने कहा कि देश में सभी धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों को समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए और एकतरफा फैसले नहीं होने चाहिए। वहीं, कुछ सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे फर्जी दावों पर रोक लगेगी और सरकार को भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता मिलेगी।

विधेयक पर वोटिंग जल्द होने की संभावना है, लेकिन विपक्ष इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे चुका है। वहीं, सरकार अपनी ओर से इसे कानूनी रूप देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अब देखना होगा कि यह बिल संसद में पारित हो पाता है या नहीं और इसके राजनीतिक असर क्या होंगे।


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