विनेश के फैसले से ताऊ महाबीर खफा: उन्होंने कहा, विनेश नेता तो बन जाएगी, लेकिन ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं कहला पाएगी।
कुश्ती छोड़कर राजनीति के दंगल में उतरी भतीजी विनेश फौगाट के फैसले से ताऊ महाबीर खफा हैं। उन्होंने कहा कि विनेश को राजनीति में आने के लिए चार साल का इंतजार करना चाहिए था। उनके अनुसार, विनेश नेता तो बन सकती हैं, लेकिन ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं बन पाएंगी। महाबीर ने बताया कि राजनेताओं को लोग कुछ सालों में भूल जाते हैं, जबकि ओलंपिक पदक विजेता हमेशा याद रहते हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा बनते हैं।
महाबीर ने विनेश के राजनीति में जल्दी आने के फैसले पर अफसोस जताया और कहा कि वह अगले ओलंपिक में पदक जीत सकती थीं। उन्होंने विनेश को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
महाबीर की दूसरी बेटी, पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फौगाट, जो पिछले चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी थीं, इस बार टिकट कटने पर महाबीर ने कहा कि राजनीति में ऐसा होता है। पार्टी संगठन किसी एक को ही खुश कर सकता है, और पार्टी का फैसला सर्वोपरि है।
विनेश फौगाट, जो चरखीदादरी के छोटे से गांव बलाली से आई हैं, हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई हैं और जींद के जुलाना से चुनावी मैदान में उतरी हैं। वह भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन में प्रमुख चेहरा रही हैं।
विनेश की शादी जींद जिले के जुलाना निवासी अंतरराष्ट्रीय पहलवान सोमबीर राठी से हुई है। पेरिस ओलंपिक में 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण उन्हें मुकाबले से बाहर कर दिया गया था, लेकिन उन्हें चैंपियन जैसा सम्मान मिला।
महाबीर फौगाट का कुनबा अब तीन पार्टियों में बंट चुका है: बड़ी बेटी बबीता भाजपा में हैं, भतीजी विनेश और दामाद बजरंग पूनिया कांग्रेस में हैं, और उनके भाई सज्जन बलाली में जननायक जनता पार्टी के दादरी जिला अध्यक्ष हैं।
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