लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने धर्मशाला में सीपीए भारत जोन-II के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया - News On Radar India
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने धर्मशाला में सीपीए भारत जोन-II के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया

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धर्मशाला/नई दिल्ली:  लोकसभा अध्यक्ष  ओम बिरला ने आज संसदीय कार्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए संसाधनों के प्रबंधन, लोकतंत्र की रक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नवाचारों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आज तपोवन, धर्मशाला में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) इंडिया रीजन, ज़ोन–II के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्य विधानसभाओं से लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने, विधायी कार्यों की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने तथा अपने निर्वाचन क्षेत्रों की चुनौतियों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से संबोधित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों और तकनीक को साझा करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि भारत की संसद संसदीय कार्यों की दक्षता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे तकनीकी नवाचारों का व्यापक रूप से उपयोग कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि भारत की संसद इन नवीनतम तकनीकी प्रगति को राज्य विधानसभाओं के साथ साझा करने के लिए तैयार है, जिससे पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सुशासन को बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर ओम  बिरला ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की ‘वन नेशन, वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ पहल का उल्लेख करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2026 तक भारत की संसद सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साझा मंच स्थापित कर देगी, जिससे विधायी विमर्श, बजट तथा अन्य विधायी पहलों पर सूचना का सहज आदान-प्रदान संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यह पहल राज्य विधानसभाओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार को प्रोत्साहित करेगी, जिसका लाभ अंततः जनता को मिलेगा।

देशभर के जनप्रतिनिधियों से आह्वान करते हुए  लोकसभा अध्यक्ष   ने कहा कि ग्राम पंचायतों से लेकर नगर पालिकाओं और राज्य विधानसभाओं तक, चुने हुए प्रतिनिधियों को अपने संस्थानों को संवाद, नवाचार और उत्कृष्टता के केंद्र में बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जिसकी विविधता अत्यंत व्यापक है, उसके ऊपर लोकतांत्रिक संस्थाओं को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नवाचारी बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर को उद्धृत करते हुए  ओम बिरला ने कहा कि किसी भी संविधान या संस्था की सफलता उसके सदस्यों और अनुयायियों के आचरण पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि विधायी संस्थाओं को सशक्त बनाना और उनके गौरव को बनाए रखना आवश्यक है, जिसके लिए संस्थाओं के भीतर संवाद और बहस को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रचनात्मक चर्चा और तार्किक तर्क-वितर्क न केवल व्यक्तिगत बल्कि संस्थागत प्रतिष्ठा को भी बढ़ाते हैं।

हिमाचल प्रदेश की गौरवशाली लोकतांत्रिक विरासत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 1921 में शिमला में पहला पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया गया था, जो लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण था। उन्होंने यह भी बताया कि विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय विधायी परिषद का अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश से चुना गया था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सराहना की कि यह देश की पहली पेपरलेस (काग़ज़ रहित) विधानसभा बनी।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री,  सुखविंदर सिंह सुक्खू, राज्य सभा के उपसभापति,  हरिवंश, हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष,  कुलदीप सिंह पठानिया; हिमाचल प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री,  हर्षवर्धन चौहान और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। जोन-II से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के पीठासीन अधिकारी तथा उत्तर प्रदेश विधान सभा, कर्नाटक विधान सभा, तेलंगाना विधान सभा और विधान परिषद के पीठासीन अधिकारी तथा हिमाचल प्रदेश विधानमंडल के सदस्यों ने उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई।

1 Comment
  1. Sushil sharma says

    Thanks to news on radar for daily fast news broadcast

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