लुधियाना में स्वतंत्रता दिवस समारोह में हंगामा
शहीद परिवारों ने सम्मान फेंके, मंत्री अमन अरोड़ा को हाथ जोड़ने पड़े….
लुधियाना में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह उस वक्त हंगामे में बदल गया जब शहीदों के परिवार और स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन बदइंतजामी और अव्यवस्था से आक्रोशित हो उठे। समारोह में राज्य सरकार की ओर से शहीद परिवारों को सम्मानित करने के लिए विशेष कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन आयोजन की लापरवाही और असंवेदनशील रवैये ने इस पावन अवसर को विवादित बना दिया।
समारोह की शुरुआत तो धूमधाम से हुई, झंडारोहण के बाद राष्ट्रगान गूंजा और शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। लेकिन जब शहीद परिवारों को मंच पर बुलाकर सम्मानित करने की बारी आई, तो कई परिवारों ने पाया कि न तो उन्हें सही तरीके से बुलाया गया और न ही उनके लिए बैठने की समुचित व्यवस्था थी। कई परिजन घंटों इंतजार करने के बाद गुस्से में भर उठे और दिए गए तोहफे और सम्मान सामग्री वहीं मंच के सामने फेंक दी।
मौके पर मौजूद लोग इस घटनाक्रम से हैरान रह गए। स्वतंत्रता दिवस जैसे भावनात्मक मौके पर शहीद परिवारों का गुस्सा उमड़ना सबके लिए चिंतन का विषय बन गया। लोग आपस में कहते दिखे कि अगर शहीदों के परिवारों को ही वह सम्मान न मिले, जिसके वे हकदार हैं, तो यह समाज और सरकार दोनों के लिए शर्मनाक स्थिति है।
स्थिति उस समय और बिगड़ गई जब परिवारों ने नारेबाजी शुरू कर दी। माहौल बिगड़ते देख राज्य के मंत्री अमन अरोड़ा को मंच से उतरकर परिजनों के बीच आना पड़ा। उन्होंने हाथ जोड़कर सभी को शांत करने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि इस घटना की जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
अमन अरोड़ा ने कहा कि शहीद परिवारों का सम्मान करना सरकार की प्राथमिकता है और इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। लेकिन गुस्से से भरे परिजनों ने कहा कि उन्हें हर साल सिर्फ औपचारिकता के नाम पर बुला लिया जाता है और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाता। उनका कहना था कि सरकार अगर वास्तव में शहीदों का सम्मान करना चाहती है तो उनके परिवारों की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे।
इस पूरे घटनाक्रम ने पंजाब सरकार की कार्यशैली और प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन पर ऐसा हंगामा होना निश्चित ही शर्मनाक है और यह दिखाता है कि अभी भी शहीद परिवारों को वह आदर और सुविधा नहीं मिल पा रही है जिसके वे असली हकदार हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इस बात पर आक्रोश जता रहे हैं कि सरकारें शहीद परिवारों का नाम तो खूब लेती हैं, लेकिन जब असली सम्मान और देखभाल की बात आती है तो सब लापरवाही में बदल जाता है।
लुधियाना का यह घटनाक्रम हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता दिवस केवल झंडे और भाषणों का नहीं, बल्कि उन परिवारों के प्रति वास्तविक संवेदनशीलता का दिन है, जिन्होंने देश की आजादी और सुरक्षा के लिए अपनी सबसे कीमती चीज—अपने बेटों और भाइयों—को बलिदान किया है।
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