राजस्थान में मानसून धीमा, बारिश रुकने की चेतावनी
15 अगस्त तक स्थानीय बूंदाबांदी की संभावना; किसान और आमजन चिंतित
राजस्थान में मानसून इस बार जमकर आया, लेकिन अब जैसे ही रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई है, लोगों की चिंता बढ़ने लगी है। हाल के मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमानों के अनुसार, अब तक प्रदेश में तेज बारिश नहीं हुई है और अगले नौ दिनों में भी भारी बारिश की उम्मीद नहीं की जा रही है। मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि 15 अगस्त तक बारिश सिर्फ हल्की बूंदाबांदी या सीमित स्थानों पर रिमझिम की शक्ल में हो सकती है। फलस्वरूप, ज्यादातर जिलों में मानसूनी गतिविधियाँ सुस्त पड़ गई हैं।
यह स्थिति उन इलाकों में विशेष रूप से चिंताजनक है जहां फसलें अभी खड़ी हैं या डाल पर हैं। किसानों ने पिछले कुछ सप्ताह में जहां मानसून का इंतजार किया, वहीं अब सूखे की मार झेलने की आशंका उनके मन में घर कर गई है। बहुत से किसान बारिश की कमी के चलते सिंचाई के लिए टैंकरों या बोरेलों पर निर्भर हो गए हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है और बोझ गहरा होता जा रहा है।
शहरी इलाकों में भी ये बदलाव फर्क ला रहा है। पिछले दिनों जहां वाहनों में हक-हक कर दौड़ती धूल और गर्मी से जनजीवन थमा सा हुआ था, वहीं अब हल्की बूंदाबांदी के बावजूद ठंडक नहीं बनी। लोग राहत की साँस तो नहीं ले पाए, क्योंकि हवा और उमस अभी भी परेशान कर रही है।
मौसम विभाग ने अपने संदेश में सावधानी बरतने की बात कही है। बुजुर्गों और व्यावसायिक श्रमिकों से कहा गया है कि वह तेज धूप या उमस के समय बचाव करें। साथ ही विभाग ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वे जलाशय स्तर और जल संसाधन प्रबंधन को लेकर तैयार रहें।
विशेषकर उन बांधों के संबंध में चेतावनी जारी की गई है जिन्हें बारिश के सीजन में भरना अपेक्षित था लेकिन अब स्थिति ऐसी बनी हुई है कि वे खाली रह सकते हैं। इस स्थिति में पानी की अनुपलब्धता से जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मानसून में यह सुस्ती 10‑15 दिनों तक बनी रहती है, तो यह कृषि पर गहरा असर डालेगी, विशेष रूप से धान, मक्का और बाजरा जैसी खरीफ फसलों की आवक में कमी आने की संभावना है।
जल्दबाजी में हल्की बूंदाबांदी और बादलों की मौजूदगी ने उम्मीद की किरण जरूर जगाई, लेकिन यह निराशा नहीं, सतर्क होने की वाणी अधिक है। पूरे राज्य में हुई बूंदाबांदी असमय होने की वजह से मिट्टी में खास नमी नहीं बनी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुओं, नहरों और तालाबों में जलस्तर घट गया हुआ है। जन साधारण और किसानों की नजर अब आने वाले समय की स्थिति पर टिकी है। वेWeather ऐप्स, सरकारी अलर्ट और मौसम अपडेट्स पर लगातार नजर बनाए हुए हैं ताकि सही समय पर उचित कदम उठा सकें।
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