राजस्थान में तबादलों की आंधी फिर चली – प्रशासन में बड़ी हलचल
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राजस्थान में तबादलों की आंधी फिर चली

प्रतिबंध के बावजूद रेवेन्यू बोर्ड ने देर रात 266 तहसीलदार और 275 नायब तहसीलदार के तबादलों के आदेश जारी किए।

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अजमेर  राजस्थान में एक बार फिर प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। तबादलों पर लागू प्रतिबंध के बावजूद राजस्व विभाग ने बड़े स्तर पर अधिकारियों के स्थानांतरण कर दिए हैं। बीती रात रेवेन्यू बोर्ड के रजिस्ट्रार द्वारा जारी आदेश के अनुसार प्रदेश के 266 तहसीलदार और 275 नायब तहसीलदारों के तबादले किए गए हैं। आदेश में स्पष्ट निर्देश है कि सभी अधिकारी तत्काल प्रभाव से नए पदस्थानों पर कार्यभार ग्रहण करें।

सरकारी स्तर पर यह फैसला अचानक और देर रात लिया गया, जिससे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। खास बात यह है कि राजस्थान में सरकार ने पहले ही तबादलों पर प्रतिबंध लगा रखा है, ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर हुए ये तबादले कई सवाल खड़े कर रहे हैं। आदेश में तबादलों का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो कुछ जिलों में कामकाज की गुणवत्ता, राजनीतिक समीकरण और राजस्व वसूली के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह फेरबदल किया गया है।

इन तबादलों में राज्य के लगभग सभी जिलों को शामिल किया गया है। जिन तहसीलों और उपतहसीलों में लंबे समय से अधिकारी जमे हुए थे, उन्हें हटाकर नए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। कई अधिकारियों को एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरित किया गया है, जिससे उनके लिए निजी और पारिवारिक जीवन में भी तुरंत बदलाव करना अब आवश्यक हो गया है।

कुछ अधिकारियों ने इस निर्णय को चुनौती देने की बात कही है, जबकि अधिकांश अधिकारियों ने आदेशों का पालन करते हुए कार्यभार संभालने की तैयारी शुरू कर दी है। रेवेन्यू बोर्ड द्वारा जारी सूची में हर अधिकारी का नाम, वर्तमान पोस्टिंग और नई पोस्टिंग की जानकारी दी गई है।

वहीं, तबादलों के इस निर्णय को लेकर विपक्ष ने भी सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने इसे चुनाव पूर्व राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश बताया है और आरोप लगाया कि इन तबादलों के पीछे राजनीतिक दबाव काम कर रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

इस तरह का बड़ा प्रशासनिक फैसला एक बार फिर दिखाता है कि राजस्थान में अफसरशाही किस कदर राजनीति से प्रभावित हो रही है। अब देखना यह होगा कि इन तबादलों से जमीन पर क्या बदलाव आता है और क्या इससे जनता को राजस्व कार्यों में कोई विशेष राहत मिलती है या नहीं।

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