राजस्थान बोर्ड स्थापना दिवस: तीन साल से चेयरमैन पद खाली
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राजस्थान बोर्ड स्थापना दिवस, तीन साल से चेयरमैन नहीं

रीट पेपर लीक के बाद बर्खास्त चेयरमैन की जगह अब तक कोई स्थायी नियुक्ति नहीं, परीक्षा प्रणाली पर उठे सवाल….

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अजमेर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। इस मौके पर जहां एक ओर बोर्ड के विकास और उसकी उपलब्धियों को याद किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि पिछले तीन सालों से बोर्ड को कोई स्थायी चेयरमैन नहीं मिला है। यह वही बोर्ड है, जो आज प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षाएं आयोजित करता है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर नेतृत्व की कमी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

तीन साल पहले हुए रीट पेपर लीक मामले में तत्कालीन चेयरमैन को बर्खास्त कर दिया गया था। यह वह समय था जब राज्यभर में परीक्षा पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे थे। सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई तो की, लेकिन आज तक उस पद पर किसी नए स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो सकी है। फिलहाल कार्यवाहक के रूप में बोर्ड का काम चल रहा है, मगर विशेषज्ञ मानते हैं कि इतनी बड़ी संस्था को एक स्थायी नेतृत्व की ज़रूरत है जो दूरगामी फैसले ले सके।

बोर्ड की शुरुआत 1975 में हुई थी और पहले एग्जाम में सिर्फ़ 29,000 छात्र शामिल हुए थे। लेकिन आज RBSE से हर साल लगभग 20 लाख छात्र विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होते हैं। इतनी बड़ी संख्या और जिम्मेदारी को देखते हुए बोर्ड के पास तकनीकी संसाधन तो बढ़े हैं, मगर नेतृत्वहीनता के कारण कई फैसलों में देरी देखी जा रही है। कई बार स्कूल संचालक और अभिभावक इस बात को लेकर भी चिंता जताते हैं कि परीक्षा शेड्यूल और रिजल्ट्स की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी महसूस हो रही है।

REET पेपर लीक प्रकरण ने बोर्ड की छवि को झटका दिया था। लाखों छात्र जो मेहनत से तैयारी कर रहे थे, उनके सपनों पर पानी फिर गया था। सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए दोबारा परीक्षा आयोजित करवाई, मगर उस घटना का असर आज भी साफ दिखता है। यही वजह है कि अब बोर्ड से जुड़ा हर निर्णय संवेदनशील हो गया है।

राज्य सरकार को चाहिए कि इस अहम संस्था को जल्द से जल्द स्थायी अध्यक्ष दे। परीक्षा के भविष्य, छात्रों की विश्वसनीयता और शिक्षा की नींव को मज़बूत करना तभी संभव है जब बोर्ड को एक सक्षम और दूरदर्शी नेतृत्व मिले। राजस्थान के छात्र, शिक्षक और अभिभावक उम्मीद कर रहे हैं कि स्थापना दिवस पर सिर्फ़ इतिहास नहीं, भविष्य की दिशा भी तय हो।

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