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युद्ध की बदलती रणनीतियों पर एक नज़र और 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति-II

भारत-पाक के बीच पहलगाम की घटना के उपरांत हुए ‘Operation Sindoor’, को पांचवीं पीढ़ी का युद्ध क्यों कहा गया, इस पर जाने माने पीआर गुरु, डॉ. सुरेश गौड़* का एक सटीक विश्लेषण (भाग -II)

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नई दिल्ली:  दोस्तों, हर पीढ़ी में युद्ध की रणनीति में बदलाव आया है, जो प्रौद्योगिकी, सामाजिक परिवर्तन और रणनीतिक सोच में बदलाव को दर्शाता है। 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति ने एक नए युग की शुरुआत की है, जिसमें पारंपरिक युद्ध के तरीकों से अलग, सूचना, प्रौद्योगिकी और कूटनीति का उपयोग करके दुश्मन को पराजित करने का प्रयास किया जाता है। इस रणनीति में, युद्ध के मैदान में सैनिकों की संख्या और हथियारों की ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण है सूचना का सही उपयोग, प्रौद्योगिकी का लाभ और कूटनीति का जाल।

5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति की विशेषताएं:  1. सूचना का सही उपयोग: इस रणनीति में, सूचना का संग्रहण, विश्लेषण और उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे दुश्मन की योजनाओं और गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है और उन्हें भ्रमित किया जा सकता है।
2. प्रौद्योगिकी का लाभ: 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके दुश्मन को पराजित करने का प्रयास किया जाता है। इसमें साइबर हमले, ड्रोन हमले और अन्य प्रौद्योगिकी आधारित तरीके शामिल हैं।
3. कूटनीति का जाल: इस रणनीति में, कूटनीति का उपयोग करके दुश्मन को अलग-थलग करने और अपने पक्ष में समर्थन जुटाने का प्रयास किया जाता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करना और दुश्मन को बदनाम करना शामिल है।

5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति के लाभ: 1. न्यूनतम नुकसान: इस रणनीति में, युद्ध के दौरान नुकसान को कम करने का प्रयास किया जाता है। इससे नागरिकों और सैनिकों की जान बचाई जा सकती है।
2. अधिक प्रभावी: 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति अधिक प्रभावी हो सकती है क्योंकि इसमें सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके दुश्मन को पराजित करने का प्रयास किया जाता है।
3. लचीलापन: इस रणनीति में, परिस्थितियों के अनुसार बदलने और अनुकूल होने की क्षमता होती है। इससे युद्ध के दौरान अप्रत्याशित स्थितियों का सामना किया जा सकता है।

आपरेशन सिंदूर ~ भारत की 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति: एक अद्वितीय मोर्चा।

भारत ने अपनी 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति के साथ एक नए युग की शुरुआत की है। यह रणनीति न केवल पारंपरिक युद्ध के तरीकों से अलग है, बल्कि यह दुनिया को भी भारत के एक नए दृष्टिकोण से परिचित करा रही है।

रणनीतिक धैर्य से युद्ध स्तर तक: “रणनीतिक धैर्य” का अर्थ है बुद्धिमत्ता और सूझबूझ के साथ धैर्य रखना, खासकर किसी समस्या या चुनौती का सामना करने में। यह एक ऐसी रणनीति है जिसमें समय और परिस्थितियों का सही उपयोग करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इंतजार किया जाता है। “युद्ध स्तर” का अर्थ है किसी समस्या या चुनौती से निपटने के लिए पूरी ताकत और संसाधनों के साथ जुट जाना, जैसे युद्ध में होता है।

भारत दशकों से रणनीतिक धैर्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन माननीय नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्रित्व काल में अब भारत 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, तीनों सेनाओं के प्रमुख, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ युद्ध स्तर पर रणनीति बनाई जा रही है।

नियंत्रण और कूटनीति का अद्वितीय जाल: भारत का नियंत्रण इतना अभूतपूर्व है कि दुनिया वही देख रही है जो भारत दिखा रहा है। कूटनीति का ऐसा जाल बुना गया है कि पूरी दुनिया उसमें उलझ चुकी है। पाकिस्तान, जो हर बात पर शोर मचाने लगता था, इस बार पूरी तरह खामोश है क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा कि भारत कैसे और किन हथियारों उसे हर मोर्चे पर धूल चटा रहा है।

भारतीय सेना की अद्वितीय क्षमता: भारत की सेना ने न सिर्फ़ पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त दी है, बल्कि दुनिया के मंच पर ऐसे सबूत पेश किये है कि पाकिस्तान की बोलती ही बंद हो गई है। सबको सब कुछ दिख रहा है, पर भारत ने अभी तक युद्ध की घोषणा नहीं की है। भारत की यह रणनीति दुश्मन को ना लड़ने देती है और न बोलने देती है। यह माननीय प्रधानमंत्री जी की कूटनीति का मास्टरस्ट्रोक है जो भारत वर्ष को एक नए युग में ले जा रहा है।

बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश है कि ऑपरेशन सिंदूर’ के बहुत से लक्ष्य अभी स्थगित किए गए हैं, त्यागे नहीं हैं। टेरर और टॉक एक साथ नहीं हो सकते, टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं हो सकते, पानी और ख़ून एक साथ नहीं बह सकते। अगर पाकिस्तान से बात होगी तो टेररिज़्म पर होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी तो पाक ओकोपाईड काश्मीर (पी ओ के) पर होगी। शांति का मार्ग शक्ति से होकर जाता है।                                                                                                                         —-(Ends)

जय हिंद जय भारत विजयी भारत


  • डॉ. सुरेश गौड़, पीआर गुरू, विश्व के सबसे सफल ब्लॉगर, जिन्होंने ब्लॉगिंग के क्षेत्र में तीन अद्वितीय विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। पीआर और इवेंट मैनेजमेंट पर 4 पुस्तकों के लेखक, भारत के प्रसिद्ध मीडिया शिक्षकों द्वारा संपादित नौ (9) विभिन्न पुस्तकों में पीआर के विभिन्न पहलुओं पर ग्यारह अध्यायों का योगदान दिया है, और पीआर पर एक नियमित ब्लॉगर, जिन्होंने 184 ब्लॉग लिखे और अपलोड किए हैं।

 


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