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युद्ध की बदलती रणनीतियों पर एक नज़र और 5वीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति: भविष्य की लड़ाई का नया तरीका

भारत-पाक के बीच पहलगाम की घटना के उपरांत हुए ‘Operation Sindoor’, को पांचवीं पीढ़ी का युद्ध क्यों कहा गया, इस पर जाने माने पीआर गुरु, डॉ. सुरेश गौड़* का एक सटीक विश्लेषण (भाग -I)

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नई दिल्ली:  दोस्तों, युद्ध रणनीति के इतिहास में पाँच पीढ़ियों का उल्लेख   है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट युद्ध तकनीक और रणनीति है जो की इतिहास में दर्ज है, आइये इन पर एक नज़र डालते हैं।

पहली पीढ़ी की युद्ध रणनीति:  पहली पीढ़ी के युद्ध से तात्पर्य उन प्राचीन युद्धों से है, जो बड़े पैमाने पर जनशक्ति के साथ लड़े जाते थे। पहली पीढ़ी की युद्ध रणनीति में पारंपरिक तरीके शामिल थे, जैसे कि सीधी लड़ाई और घेराबंदी। इस पीढ़ी में, सैनिकों की संख्या और हथियारों की ताकत महत्वपूर्ण थी। युद्ध के मैदान में सैनिकों की तैनाती और हमले की रणनीति मुख्य रूप से शारीरिक शक्ति और संख्या पर आधारित थी।इस दौरान, युद्ध में मुख्य रूप से पैदल सेना, घुड़सवार सेना और तोपखाने का उपयोग किया जाता था।

दूसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति:  दूसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में आग्नेयास्त्रों और तोपखाने का उपयोग शुरू हुआ। इस पीढ़ी में, युद्ध के मैदान में मारक क्षमता और सैनिकों की प्रशिक्षण महत्वपूर्ण हो गया। दूसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में हमले की गति और सटीकता पर अधिक ध्यान दिया गया। दूसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में आग्नेयास्त्रों, तोपखाने और मशीन गनों का उपयोग बढ़ गया, और सैन्य रणनीतियों में बदलाव आया।

तीसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति: तीसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में गतिशील युद्ध की अवधारणा आई। इस पीढ़ी में, युद्ध के मैदान में गति और आश्चर्य महत्वपूर्ण हो गया। तीसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में दुश्मन की रेखाओं को तोड़ने और गहराई में घुसपैठ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। तीसरी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में टैंकों, विमानों और गतिशील युद्ध की रणनीतियों का उपयोग बढ़ गया और इन रणनीतियों का विकास युद्ध संचालन में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगीं। अनिवार्य रूप से, यह सामरिक स्तर पर रैखिक युद्ध का अंत था, जिसमें इकाइयाँ न केवल एक-दूसरे से आमने-सामने मिलना चाहती थीं, बल्कि सबसे बड़ा लाभ प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे को मात देना चाहती थीं।

चौथी पीढ़ी की युद्ध रणनीति: चौथी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में आतंकवाद और विद्रोह शामिल हैं। इस पीढ़ी में, युद्ध के मैदान में पारंपरिक तरीके से हटकर गुरिल्ला युद्ध और आतंकवादी हमले महत्वपूर्ण हो गए। चौथी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में दुश्मन की पहचान और उनके नेटवर्क को तोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया। चौथी पीढ़ी की युद्ध रणनीति में आतंकवाद, गुरिल्ला युद्ध और विद्रोह शामिल हैं और पारंपरिक सैन्य रणनीतियों से हटकर गुरिल्ला युद्ध, आतंकवादी हमले और सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित गया।

पांचवीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति: पांचवीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति में सूचना युद्ध, साइबर हमले और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा ऐनालिटिक्स जैसी प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। इस पीढ़ी में, युद्ध के मैदान में सूचना का सही उपयोग, प्रौद्योगिकी का लाभ और कूटनीति का जाल महत्वपूर्ण हो गया। पांचवीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति में दुश्मन को भ्रमित करने और उनके निर्णयों को प्रभावित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस दौरान, सैन्य रणनीतियों में बदलाव आया और नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ गया। पांचवीं पीढ़ी की युद्ध रणनीति में, सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके दुश्मन को भ्रमित करने, उनके निर्णयों को प्रभावित करने और उनकी क्षमताओं को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। —–-….continued Part II)                                                                                    (pics -AI  created )


  • डॉ. सुरेश गौड़, पीआर गुरू, विश्व के सबसे सफल ब्लॉगर, जिन्होंने ब्लॉगिंग के क्षेत्र में तीन अद्वितीय विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। पीआर और इवेंट मैनेजमेंट पर 4 पुस्तकों के लेखक, भारत के प्रसिद्ध मीडिया शिक्षकों द्वारा संपादित नौ (9) विभिन्न पुस्तकों में पीआर के विभिन्न पहलुओं पर ग्यारह अध्यायों का योगदान दिया है, और पीआर पर एक नियमित ब्लॉगर, जिन्होंने 184 ब्लॉग लिखे और अपलोड किए हैं।

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