भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने
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भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने

धौलपुर में सेना बुलाई गई, गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

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राजस्थान में मानसून की तेज़ बारिश ने एक बार फिर कई ज़िलों को बेहाल कर दिया है। बीते 24 घंटों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मूसलधार बारिश से नदियां उफान पर हैं और धौलपुर, झालवाड़, बारां, सवाई माधोपुर समेत कई जिलों में हालात बाढ़ जैसे बन गए हैं। हालात को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और धौलपुर में सेना की मदद ली जा रही है।

धौलपुर जिले में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर बनी हुई है। चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। जिले के निचले इलाकों में पानी घुस चुका है और कई गांवों को खाली कराया जा चुका है। सेना की टीमों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। नावों और रस्सियों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

एक स्थानीय ग्रामीण, रामप्रकाश, ने बताया कि रात को अचानक पानी उनके घर में घुस आया। “बच्चों को गोद में उठाकर जैसे-तैसे छत पर पहुंचे। सुबह सेना आई तो जान में जान आई,” उन्होंने कहा। प्रशासन ने करीब एक दर्जन गांवों से अब तक 800 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है।

इस बीच मौसम विभाग ने भी चेतावनी जारी की है कि प्रदेश के 6 जिलों—धौलपुर, करौली, बारां, सवाई माधोपुर, बूंदी और टोंक में गुरुवार को अतिभारी बारिश हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर 13 स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा कर दी है। जलभराव और यातायात अवरोध की स्थिति को देखते हुए स्थानीय बस सेवाएं भी कुछ क्षेत्रों में स्थगित कर दी गई हैं।

हालात पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से लगातार निगरानी रखी जा रही है। जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि राहत शिविरों में पर्याप्त खाद्य सामग्री, पेयजल, दवाइयां और सुरक्षित आवास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे एक जवान ने कहा, “हमने इससे पहले भी ऐसे हालात देखे हैं, लेकिन इस बार पानी की रफ्तार और दायरा दोनों बहुत तेज है। हमारी कोशिश है कि एक भी जान न जाए।”

बारिश से बर्बाद हुई फसलों को लेकर किसान भी परेशान हैं। खेतों में पानी भर जाने से खरीफ की फसलें बर्बादी के कगार पर हैं। गांवों के स्कूलों और पंचायत भवनों को अस्थायी शरणस्थलों में बदला गया है, जहां बच्चों और बुजुर्गों के लिए प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है। इस आपदा ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमारी तैयारी और संसाधन कितने पर्याप्त हैं। फिलहाल, पूरे राज्य की नज़रें राहत कार्यों पर टिकी हैं।

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