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भारतीय महिलाएं कई रोगों का उपचार करवाने में काफी पीछे: डॉ पुरोहित

आज National Doctors’ Day पर हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य विषेषज्ञ, डॉ नरेश पुरोहित, (सलाहकार – राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम) महिलाओं के स्वास्थ्य, उपचार सुविधाओं और उनके उपयोग पर विचार सांझा करते हुए…..

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नई दिल्ली /भोपाल: महिलाओं में एनीमिया, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर सहित दूसरी समस्याएं बढ़ रही हैं। इनका समय पर निदान और इलाज न हो पाने के कारण रोग के गंभीर रूप लेने और इलाज में जटिलाओं का खतरा और भी बढ़ जाता है। वर्तमान समय में भारतीय महिलाएं रोगों का इलाज करवाने में काफी पीछे हैं, अधिकतर महिलाएं इन मामलों में लापरवाही करती हैं।

महिलाओं में बढ़ते कैंसर के मामले : महिलाओं के स्वास्थ्य को अभी भी मुख्यरूप से जानकारी की कमी के कारण काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती रही है। हमें महिलाओं को उनके स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए व्यावहारिक बदलाव लाने की आवश्यकता है।

ब्रेस्ट हो या सर्वाइकल कैंसर, इनका अगर समय रहते निदान और उपचार हो जाए तो रोग के गंभीर रूप लेने और रोगी की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

मासिक धर्म और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं –सुलभ सेनिटेशन मिशन फाउंडेशन ने एक सर्वे की रिपोर्ट में बताया कि देश में महिला चिकित्सकों की कमी के चलते करीब 91% महिलाएं मासिक धर्म और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का परामर्श नहीं ले पाती हैं। मासिक धर्म के दौरान लड़कियों ने स्कूल के शौचालयों के उपयोग करने में डर की बात स्वीकार की है क्योंकि इनकी गुणवत्ता खराब होती है। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान बड़ी संख्या में लड़कियां अनुपस्थित रहती हैं।

समय से पहले रजोनिवृत्ति होना चिंताजनक: नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दशकों की तुलना में अब महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति देखी जा रही जिसके कारण भी स्वास्थ्य पर गंभीर असर देखा जा रहा है।
भारत में 30 से 49 वर्ष की आयु की 15% महिलाओं में रजोनिवृत्ति की स्थिति देखी जा रही है जबकि इसका समय मुख्यरूप से 55 वर्ष माना जाता रहा है। कुछ महिलाओं को 40 वर्ष की आयु से पहले ही इसका अनुभव हो रहा है।

समय से पहले रजोनिवृत्ति एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है क्योंकि इससे हृदय, हड्डियों और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके लिए कई प्रकार के पर्यावरणीय और लाइफस्टाइल से संबंधित स्थितियों को जिम्मेदार माना जा रहा है|


*डॉ नरेश पुरोहित- एमडी, डीएनबी , डीआई एच , एमएचए, एमआरसीपी (यूके) एक महामारी रोग विशेषज्ञ हैं। वे भारत के राष्ट्रीय संक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार हैं। मध्य प्रदेश एवं दूसरे प्रदेशों की सरकारी संस्थाओं में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम , राष्ट्रीय पर्यावरण एवं वायु प्रदूषण के संस्थान के सलाहकार हैं। एसोसिएशन ऑफ किडनी केयर स्ट्डीज एवं हॉस्पिटल प्रबंधन एसोसिएशन के भी सलाहकार हैं।

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