भाजपा में सब ठीक नहीं: सुबह पांच नेता निकाले, शाम को AAP में हुए शामिल, टिकट दिलाने की होड़ तेज
जालंधर में भाजपा में गुटबाजी, पार्टी छोड़ने वाले नेता आप में शामिल, टिकटों के लिए संघर्ष
जालंधर : पंजाब में नगर निगम चुनावों के चलते राजनीतिक घमासान तेज हो चुका है और नेताओं के दल बदलने का दौर भी शुरू हो गया है। जालंधर में भाजपा ने पांच नेताओं को पार्टी से निकाला, जिनमें विनीत धीर, सौरभ सेठ, कुलजीत हैप्पी, गुरमीत चौहान और अमित लुधरा शामिल थे। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि कुछ घंटों बाद ही ये सभी नेता आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो गए।
भाजपा में गुटबाजी और टिकटों की होड़
पार्टी के सीनियर नेताओं के अनुसार, भाजपा जालंधर में गुटबाजी का शिकार हो गई है। स्थानीय स्तर पर भाजपा में अफसरशाही और नेताओं के बीच विवाद बढ़ने से पार्टी की स्थिति कमजोर हो रही है। खासकर व्यापारी वर्ग से भाजपा की दूरी बन रही है, क्योंकि दीपावली पर व्यापारियों को अफसरशाही द्वारा तंग किए जाने के बावजूद पार्टी चुप रही। इसके अलावा, जिला भाजपा ने आम लोगों की समस्याओं को उठाने में कोई खास पहल नहीं की।
भाजपा में टिकटों के आबंटन में भी खींचतान बढ़ गई है। जालंधर के वरिष्ठ भाजपा नेताओं जैसे मनोरंजन कालिया, केडी भंडारी और राकेश राठौर को स्थानीय नेताओं द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है, जो अपनी मनमानी में लगे हुए हैं।
पूर्व सांसद और नेताओं की टिकटों के लिए जद्दोजहद
भाजपा में कांग्रेस और आप से आए पूर्व सांसद सुशील रिंकू और कर्मजीत कौर चौधरी जैसे वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। कर्मजीत कौर चौधरी, जो भूपिंदर जौली के लिए टिकट मांग रही हैं, उनका करीबी भूपिंदर जौली एक नामचीन उद्यमी हैं, लेकिन जिला इकाई की ओर से उन्हें पटखनी देने के लिए किसी और को टिकट देने की कोशिश की जा रही है। इसी तरह से कैंट से विधायक जगबीर बराड़, पूर्व विधायक सर्बजीत सिंह मक्कड़ और वरिष्ठ नेता अमित तनेजा भी अपने नजदीकियों को टिकट दिलाने की जुगत में हैं।
AAP और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच नगर निगम चुनावों में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। हाल ही में, AAP ने पूर्व मेयर जगदीश राज राजा को पार्टी में शामिल किया और पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस भी दमखम के साथ चुनावी मैदान में है। भाजपा इस स्थिति में खुद को बचाने के लिए दोनों पार्टियों से मुकाबला करने की कोशिश कर रही है।
अकाली दल का इस चुनावी माहौल में अभी तक कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है, जबकि भाजपा के लिए इस समय राजनीतिक संकट गहरा गया है।
Discover more from News On Radar India
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Comments are closed.