बिहार का भयावह दंगा जिसने बदल दी राजनीति
108 लाशों पर खेत में उगी गोभी, हिंसा के बाद गई मुख्यमंत्री की कुर्सी…..
बिहार : के इतिहास में कुछ घटनाएं ऐसी रही हैं जिन्होंने राज्य की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया। ऐसा ही एक भयावह दंगा हुआ था, जिसमें न केवल कई लोगों की जान गई, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ी। इस दंगे में 108 लोगों की निर्मम हत्या कर उनके शवों को खेतों में गाड़ दिया गया और बाद में उन पर गोभी की फसल उगा दी गई। यह घटना आज भी बिहार की सबसे भयानक त्रासदियों में से एक मानी जाती है।
दंगा राजनीतिक और सांप्रदायिक तनाव का परिणाम था, जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। इस दौरान घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को आग के हवाले कर दिया गया। प्रशासन हालात को संभालने में नाकाम रहा और हिंसा बेकाबू हो गई। जब पुलिस को इस नरसंहार की जानकारी मिली, तब जाकर इस भयावह साजिश का खुलासा हुआ।
स्थानीय लोगों के अनुसार, दंगाइयों ने योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया। पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपराधियों ने निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा और सबूत छिपाने के लिए खेतों में लाशें गाड़ दीं। कई महीनों बाद जब यह मामला सामने आया, तो पूरे देश में हड़कंप मच गया। सरकार पर दबाव बढ़ने लगा और जनता के गुस्से के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
इस घटना ने बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाया। इसके बाद राज्य में दंगों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया। हालांकि, यह मामला आज भी बिहार की राजनीति में एक काले अध्याय के रूप में देखा जाता है।
इस दंगे ने न केवल प्रभावित परिवारों को सदमे में डाल दिया बल्कि पूरे राज्य को एक सबक भी दिया कि राजनीतिक और सांप्रदायिक नफरत की आग में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है। आज भी पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन यह घटना इतिहास के पन्नों में हमेशा एक दर्दनाक स्मृति के रूप में दर्ज रहेगी।
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