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बिना तलाक दूसरी पत्नी को नौकरी मंजूर

हाईकोर्ट ने कहा– सेवा पुस्तिका में दर्ज दूसरी पत्नी को नहीं किया जा सकता अनुकंपा नियुक्ति से वंचित……

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पंजाब हरियाणा : हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी कर्मचारी ने अपनी सेवा पुस्तिका में दूसरी पत्नी का नाम नामांकित किया है और वह कर्मचारी के जीवनकाल में पूरी तरह आश्रित रही है, तो वैवाहिक वैधता के विवाद के बावजूद उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुनाया, जिसमें दूसरी पत्नी को अनुकंपा नौकरी देने से इंकार कर दिया गया था, क्योंकि कर्मचारी ने पहली पत्नी से विधिवत तलाक नहीं लिया था।

इस मामले में कर्मचारी की मौत के बाद उसकी दूसरी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। विभाग ने उसे यह कहकर मना कर दिया कि उसका विवाह कानूनी रूप से मान्य नहीं है, क्योंकि पहली पत्नी से तलाक नहीं हुआ था। लेकिन याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में नामांकित थी, और उसके साथ वर्षों तक रह चुकी थी, साथ ही वह आर्थिक रूप से भी पूरी तरह उस पर निर्भर थी।

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि सेवा पुस्तिका में नाम दर्ज होना, आश्रय और निर्भरता का प्रमाण है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि कर्मचारी ने स्वयं उसे अपनी पत्नी के रूप में नामांकित किया और वह सभी दस्तावेजों में उसके आश्रित के रूप में दर्ज रही, तो उसे सिर्फ विवाह की वैधता के आधार पर नौकरी से वंचित करना अनुचित होगा।

यह फैसला सामाजिक दृष्टिकोण से भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह अनुकंपा नियुक्ति के अधिकारों की व्याख्या को मानवीय आधार पर देखने की वकालत करता है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि कोई व्यक्ति जीवन भर किसी पर निर्भर रहा है, तो उसकी पहचान और अधिकार सिर्फ कागजी विवाह प्रमाणपत्रों तक सीमित नहीं होने चाहिए।


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