बच्चों की डिजिटल सुरक्षा में पैरेंट्स की अहम भूमिका..
स्क्रीन टाइम से साइबर सुरक्षा तक, बच्चों को सुरक्षित रखने में अभिभावकों की भूमिका सबसे जरूरी…
लुधियाना : डिजिटल युग में बच्चों की परवरिश एक नई चुनौती बन गई है, जहां तकनीक के फायदे तो हैं ही, लेकिन उससे जुड़े खतरे भी कम नहीं हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा से लेकर स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट तक, हर मोर्चे पर पैरेंट्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। आज के समय में बच्चे बहुत कम उम्र में ही स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट जैसी सुविधाओं से जुड़ जाते हैं। ऑनलाइन क्लासेस, गेमिंग ऐप्स, सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों की मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन यह डिजिटल आजादी कहीं न कहीं उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर असर डाल रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को तकनीक से जोड़ना गलत नहीं है, लेकिन इसकी सीमाएं तय करना बहुत जरूरी है। जब बच्चे अनियंत्रित रूप से मोबाइल या इंटरनेट का उपयोग करते हैं, तो वे कई प्रकार के ऑनलाइन खतरों का शिकार हो सकते हैं, जैसे कि साइबर बुलिंग, अश्लील कंटेंट तक पहुंच, ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन और फर्जी फ्रेंड रिक्वेस्ट्स। ये सभी चीजें बच्चों के मन पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसे में अभिभावकों को न केवल बच्चों की डिजिटल गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए, बल्कि उन्हें साइबर सेफ्टी की बेसिक जानकारी भी देनी चाहिए।
स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना भी आज के समय में एक बड़ी जरूरत है। लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों पर असर पड़ता है, उनकी नींद प्रभावित होती है और वे सामाजिक रूप से भी अलग-थलग पड़ सकते हैं। इसके अलावा, फिजिकल एक्टिविटी की कमी से उनका शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे घर में एक ऐसा माहौल बनाएं जहां तकनीक का उपयोग सीमित और उद्देश्यपूर्ण हो। उन्हें बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने, आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करने और किताबों से दोस्ती कराने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा, एक और अहम जिम्मेदारी है बच्चों को सही और गलत में फर्क करना सिखाना। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि हर ऑनलाइन जानकारी सही नहीं होती और हर व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं होता। उन्हें यह भी सिखाया जाना चाहिए कि अगर उन्हें किसी तरह की परेशानी महसूस हो, तो वे बिना डरे माता-पिता से बात करें। ओपन कम्युनिकेशन का माहौल ही बच्चों को सुरक्षित रख सकता है।
सरकार और स्कूलों की ओर से भी साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन सबसे पहली जिम्मेदारी घर से शुरू होती है। अगर अभिभावक सतर्क रहें, तो बच्चों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रखा जा सकता है। टेक्नोलॉजी से भागने की नहीं, समझदारी से साथ चलने की जरूरत है। बच्चों को डिजिटल दुनिया का समझदार उपयोगकर्ता बनाना आज हर माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
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