फर्जी एनकाउंटर पर HC की सख्ती
कानून के रक्षक जज और जल्लाद नहीं बन सकते, पंजाब सरकार को कोर्ट का सख्त संदेश।…..
पंजाब : में फर्जी एनकाउंटर मामले पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कानून लागू करने वाले अधिकारी न तो जज बन सकते हैं और न ही जल्लाद। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी सूरत में यह स्वीकार्य नहीं है कि पुलिस खुद ही सजा तय करे और उसे अंजाम दे। हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह मामला अमृतसर के 22 वर्षीय युवक अरविंदर पाल सिंह उर्फ लवली से जुड़ा है, जिसे 23 मई 2013 को एक नाई की दुकान पर बैठने के दौरान गोली मार दी गई थी। मृतक की मां दलजीत कौर के अनुसार, हेड कांस्टेबल प्रेम सिंह ने बेहद करीब से उनके बेटे के सीने में गोली चलाई थी। यह दावा किया गया कि यह एक फर्जी एनकाउंटर था, जिसमें न तो कोई पूर्व सूचना थी और न ही कोई पुलिस रिकॉर्ड जो इस कार्रवाई को जायज ठहराता हो।
मृतक के परिवार ने लंबे समय से न्याय की मांग की है और इस मामले में अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी है, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, न कि सीधी गोली मार कर उसे खत्म कर दिया जाए।
हाईकोर्ट ने पुलिस और राज्य प्रशासन की जवाबदेही तय करने की जरूरत पर बल दिया और स्पष्ट किया कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है और क्या दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई विभागीय या कानूनी कदम उठाए गए हैं।
यह मामला एक बार फिर पुलिस सिस्टम और मानवाधिकार के बीच संतुलन की गंभीर जरूरत की ओर इशारा करता है। अदालत का यह रुख साफ करता है कि कानून का राज सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति या संस्था उससे ऊपर नहीं हो सकती।
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