पर्याप्त नींद के अभाव में भविष्य में अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है: डॉ पुरोहित - News On Radar India
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पर्याप्त नींद के अभाव में भविष्य में अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है: डॉ पुरोहित

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भोपाल: एसोसिएशन फॉर स्टडीज फॉर मेंटल केयर के प्रधान अन्वेषक डॉ नरेश पुरोहित ने बताया कि दुनिया मे हुए शोध अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि पर्याप्त नींद के अभाव में भविष्य में अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग रात में पांच घंटे से कम सोते हैं, उनमें आगे चलकर डिमेंशिया होने का खतरा दोगुना अधिक एवं ऐसे लोगों में असमय मृत्यु का जोखिम भी अधिक देखा गया है।

विश्व अल्जाइमर दिवस – (सितंबर 21)   के अवसर पर हाल ही में तैयार की गई अपनी शोध रिपोर्ट के आधार पर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ पुरोहित ने भोपाल स्थित पीपल्स चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित एक सेमीनार मे जानकारी देते हुए बताया कि हर चार सेकंड में दुनिया में कोई न कोई अल्जाइमर से पीड़ित होता है। अल्जाइमर डिमेंशिया की प्रमुख वजह है जिससे दुनिया भर में 5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि साल 2030 तक अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी और यह 2050 तक तीन गुनी हो जाएगी।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रमुख सलाहकार डॉ पुरोहित ने बताया कि
नींद की कमी प्रारंभिक मनोभ्रंश से भी जुड़ी है, जो अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति, एकाग्रता, रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमताओं दोनों को प्रभावित करती है। उन्होंने बताया, इससे अनियमित मूड स्विंग और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं और संभावित रूप से अवसाद हो सकता है।

उन्होने बताया कि अल्जाइमर की बीमारी की आशंका आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र के बाद ही होती है। विटामिन बी12 या थायराइड असंतुलन से अल्जाइमर जैसी समस्या हो सकती है, पर वह अल्जाइमर नहीं होती। बी12, थायमिन की कमी से भूलने की समस्या हो सकती है।

उन्होने चेताया कि अल्जाइमर के पीछे एक बड़ा कारण जीवनशैली का असंतुलन भी है। समय पर भोजन करना, पूरी नींद लेना, शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले भोजन से परहेज, स्ट्रेस फ्री लाइफस्टाइल से डिमेंशिया और अल्जाइमर बीमारी की आशंका को रोका जा सकता है। लगातार स्क्रीन पर काम करने या आर्टिफिशियल लाइट में रहने से नींद प्रभावित होती है और रिदम खराब हो जाता है।
उन्होने जानकारी दी कि अल्जाइमर के लक्षण स्पष्ट होने के बाद उसका उपचार शुरू होता है, साथ ही काग्निटिव थेरेपी, बिहेवियर थेरेपी, योग, प्राणायाम और दवा के माध्यम से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

उन्होने अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचने हेतु तनाव मुक्त रहने का सुझाव देते हुए कहा कि
दिमाग को सक्रिय रखने के लिए कोई शौक विकसित करें या बौद्धिक कार्यों में सक्रियता बढ़ाएं।
शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। नियमित व्यायाम करें और धूम्रपान न करें।
तले भुने भोजन, घी, तेल, चिकनाई से परहेज करें। पर्याप्त फल-सब्जी खाएं, पर नमक का सेवन सीमित रखें। अखरोट-बादाम का सेवन लाभकारी है।
फिश ऑयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो दिमाग को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। जरूरी है अच्छी नींद कम से कम छह से आठ घंटे की नींद जरूरी है। सोने का एक समय निर्धारित करें। सोने से पहले मोबाइल देखना बंद कर दें


*डॉ नरेश पुरोहित- एमडी, डीएनबी , डीआई एच , एमएचए, एमआरसीपी (यूके) एक महामारी रोग विशेषज्ञ हैं। वे भारत के राष्ट्रीय संक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार हैं। मध्य प्रदेश एवं दूसरे प्रदेशों की सरकारी संस्थाओं में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम , राष्ट्रीय पर्यावरण एवं वायु प्रदूषण के संस्थान के सलाहकार हैं। एसोसिएशन ऑफ किडनी केयर स्ट्डीज एवं हॉस्पिटल प्रबंधन एसोसिएशन के भी सलाहकार हैं।

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