परमगुरु के बिगड़े बोल से मचा हड़कंप
प्रेमानंद के गुरू पर ठगी का आरोप, बयानों से बढ़ा विवाद…..
हरियाणा के हिसार में एक विवादास्पद बयान ने धार्मिक और सामाजिक गलियारों में खलबली मचा दी है। मामला जुड़ा है एक स्वयंभू संत, जिन्हें लोग ‘परमगुरु’ कहकर पुकारते हैं। ये वही संत हैं, जिन्हें कथित तौर पर प्रेमानंद महाराज का गुरु कहा जाता है। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा कुछ बोल दिया जिससे खुद उन पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
हाल ही में एक सार्वजनिक मंच पर बोलते हुए परमगुरु ने प्रेमानंद महाराज को लेकर कुछ ऐसे शब्द कहे जो न केवल अनुशासनहीन माने गए, बल्कि उन्होंने खुद के अतीत को भी उजागर कर दिया। उन्होंने मंच से कहा, “पाखंड देखिए, ये प्रेमानंद महाराज के गुरू हैं…” इतना कहते ही उन्होंने अपनी बातों में इशारा दिया कि खुद उनका भी नाम 3 हजार करोड़ की ठगी के एक बड़े केस में सामने आया है।
इस बयान ने सोशल मीडिया पर बहस को हवा दे दी। लोग यह सवाल पूछने लगे कि अगर स्वयं कोई व्यक्ति इस कदर विवादों में घिरा हो, तो वह कैसे आध्यात्मिकता और नैतिकता की बातें कर सकता है। कई यूजर्स ने वीडियो क्लिप्स शेयर करते हुए धर्मगुरुओं की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि अब समय आ गया है कि धर्म की आड़ में होने वाले ऐसे ड्रामों पर सख्ती से रोक लगे।
परमगुरु का बयान सामने आते ही, प्रशासन भी हरकत में आया है। पुराने केस की फाइलों को फिर से खंगाला जा रहा है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान पुलिस की ओर से नहीं आया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को फिर से सक्रिय किया जा सकता है।
धार्मिक मामलों के जानकार मानते हैं कि ऐसे बयानों से आम जनता का विश्वास डगमगाने लगता है। एक तरफ जहां लोग मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए इन गुरुओं की शरण में जाते हैं, वहीं दूसरी ओर जब इन्हीं पर घोटाले, ठगी या अनैतिक आचरण के आरोप लगते हैं, तो आस्था को गहरा आघात पहुंचता है।
विवाद केवल परमगुरु की जुबान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे प्रेमानंद महाराज की छवि पर भी असर पड़ सकता है। अगर गुरु ही इस तरह के विवादों में घिरा हो, तो शिष्य की साख पर भी सवाल उठते हैं। धर्मगुरुओं से जुड़े मामलों में यह कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन यह निश्चित ही एक और चेतावनी है कि भक्ति और अंधभक्ति में फर्क समझना बेहद जरूरी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा।