पंजाब साईबर क्राइम डिवीजऩ ने साईबर वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों को पुलिस के साथ तालमेल करने के लिए नोडल अफ़सर नियुक्त करने के लिए कहा
एडीजीपी साईबर क्राइम ने प्रमुख बैंकों के साथ की मीटिंग, हेल्पलाइन 1930 संबंधी जागरूकता फैलाने के लिए सहयोग की माँग की साईबर क्राइम डिवीजऩ ने साईबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायतें आने के उपरांत 20 करोड़ रुपए किये फ्रीज बैंक अधिकारियों द्वारा लॉ एंफोर्समैंट एजेंसी को पूरा सहयोग देने का आश्वासन
चंडीगढ़, 25 फरवरी: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों के अनुसार राज्य में साईबर वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए पुलिस और बैंक अधिकारियों के दरमियान तालमेल बढ़ाने के लिए, पंजाब पुलिस की साईबर क्राइम डिविजऩ ने 1930 साईबर हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के निपटारे के लिए बैंकों को अलग नोडल अफ़सर नियुक्त करने के लिए कहा है, जिससे बैंक खातों को पहल के आधार पर ब्लॉक करना और संदिग्ध बैंक खातों के विवरण समय पर मुहैया करवाना सुनिश्चित बनाया जा सके। यह फ़ैसला एडीजीपी साईबर क्राइम वी. नीरजा द्वारा सी.एफ.सी.एफ.आर.एम.एस. पोर्टल पर दर्ज शिकायतों सम्बन्धी बैंकों द्वारा जवाब देने के समय को घटाने के लिए अलग-अलग बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ की गई तालमेल बैठक के दौरान लिया गया।
यह मीटिंग डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव के दिशा-निर्देशों पर करवाई गई थी, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एच.डी.एफ.सी. बैंक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ऐक्सिस बैंक, आर.बी.एल. बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ोदा, यैस बैंक, इंडियन बैंक और आई.डी.एफ.सी. फस्र्ट बैंक समेत 11 प्रमुख बैंकों के 17 अधिकारियों ने भाग लिया। मीटिंग में डीआईजी साईबर क्राइम नीलांबरी जगदले और डीएसपी साईबर क्राइम प्रभजोत कौर भी उपस्थित थे।
एडीजीपी वी. नीरजा ने कहा कि साईबर हेल्पलाइन 1930 एक सिटिजन फाइनेंशियल साईबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) है, जिसकी मदद से साईबर वित्तीय धोखाधड़ी के पीडि़तों द्वारा इस हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद मुलजि़मों/संदिग्ध व्यक्तियों के खातों में पीडि़तों द्वारा जमा करवाए गए पैसों को फ्रीज कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि मीटिंग के दौरान साईबर वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए दरपेश चुनौतियों और साईबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 के द्वारा दर्ज शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज करने संबंधी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि बैंकों को साईबर वित्तीय धोखाधड़ी संबंधी जागरूकता मुहिम चलाने की अपील की गई, जिससे लोगों को 1930 हेल्पलाइन नंबर पर ऐसी साईबर धोखाधडिय़ों की रिपोर्ट करने संबंधी जागरूक किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि बैंकों को 1930 हेल्पलाइन नंबर को बैंकों के अंदर और बाहर फ्लैक्स बोर्डों या पोस्टरों पर प्रदर्शित करने के साथ-साथ अपनी अधिकृत वैबसाईटों पर दिखाने के लिए भी कहा गया है।
एडीजीपी ने कहा कि बैंकों को समयबद्ध ढंग से संदिग्ध बैंक खातों संबंधी यूपीआई/ इंटरनैट बैंकिंग लॉग, बैंक स्टेटमैंट्स, एटीएम फुटेज और केवाईसी दस्तावेज़ मुहैया करवा कर ऐसे मामलों की जांच के दौरान पंजाब पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि नकली खाते खोलने से रोकने के लिए बैंकों को नये बैंक खाते खोलने के समय घरों के पतों की व्यक्तिगत तौर पर जाँच करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक 1930 हेल्पलाइन के द्वारा संदिग्ध बैंक खातों में लगभग 20 करोड़ रुपए फ्रीज किए जा चुके हैं, जिसमें से लगभग 1.5 करोड़ रुपए राज्य कानूनी सेवा अथॉरिटी, पंजाब की मदद से पीडि़तों को वापस किये जा चुके हैं।
बताने योग्य है कि बैंकों के अधिकारियों द्वारा भोले-भाले लोगों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए लॉ एंफोर्समैंट एजेंसी को पूरा सहयोग देने और मामलों की जांच के दौरान मदद का आश्वासन दिया गया।
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