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पंजाब विधान सभा में बी.बी.एम.बी. के किसी भी प्रयास को न मानने का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित

राज्य से नदी जल छीनने की साजिशें रचने के लिए भाजपा की कड़ी निंदा

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब ने भाजपा के प्रभाव में बी.बी.एम.बी. की मनमानियों का विरोध करते हुए ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया।

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चंडीगढ़:  पंजाब विधान सभा में भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड के खिलाफ जबरदस्त रोष देखा गया। एक दिवसीय विशेष सत्र में  सर्वसम्मति  से पास किए गए प्रस्ताव  में मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. के जरिए कई सालों से पंजाब का पानी दूसरे राज्यों को बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब भाजपा सरकार ने इस बोर्ड को अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब से पूछे बिना आधी रात को बैठकें बुलाकर और दूसरे राज्यों के दबाव में आकर पंजाब का हक छीना जा रहा है।

प्रस्ताव के कुछ मुख्य बिंदु  हैं  :  1.  पंजाब सरकार हरियाणा को अपने हिस्से में से एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं देगी। वर्तमान में मानवता के आधार पर पीने के पानी के रूप में केवल 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है जो जारी रहेगा। (एक भी बूंद और नहीं देंगे)।
2.  यह सदन भाजपा द्वारा बी.बी.एम.बी. की बैठक बुलाने के गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक तरीके की कड़ी निंदा करता है।
3. मौजूदा बी.बी.एम.बी. केवल भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कठपुतली के रूप में काम करती है। बी.बी.एम.बी. बैठकों में पंजाब की चिंताओं और अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है। इसलिए पंजाब के योग्य प्रतिनिधित्व और इसके हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बी.बी.एम.बी. का पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
4.  सतलुज, रावी और ब्यास नदियाँ पूरी तरह से पंजाब में बहती हैं और इसके बा वजूद उनका पानी दूसरे राज्यों को किस आधार पर दिया जा रहा है? वर्ष 1981 का समझौता जो इस पानी के बंटवारे की व्यवस्था तय करता है, वह नदी जल के प्रवाह के स्तर पर आधारित था जो आज काफी कम है। मौजूदा जमीनी हकीकतों को दर्शाने के लिए नए समझौते की आवश्यकता है।
5. बी.बी.एम.बी. बैठकों के नोटिस जारी करने के लिए बार-बार कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करता है-अक्सर आधी रात को बैठकें तय करता है। यह सदन बी.बी.एम.बी. को इस संबंध में कानून का सख्ती से पालन करने का निर्देश देता है।
6. प्रत्येक राज्य को आवंटित किए गए पानी के बंटवारे संबंधी वर्ष 1981 के समझौते में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। बी.बी.एम.बी. के पास इसे बदलने की कोई कानूनी ताकत नहीं है। बी.बी.एम.बी. द्वारा ऐसी बैठकों के माध्यम से पंजाब के हिस्से को किसी अन्य राज्य को पुनर्वितरित करने का कोई भी प्रयास गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक है।
7. यह सदन ‘डैम सुरक्षा अधिनियम-2021’ को पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला मानता है। यह केंद्र को राज्य के स्वामित्व वाले बांधों और नदियों पर अधिक नियंत्रण करने का अधिकार देता है और यहां तक कि वे बांध और नदियां भी जो पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर हैं। यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है और जल संसाधनों पर पंजाब की संप्रभुता को कमजोर करता है। अधिनियम को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।               (डी.पी.आर. के इनपुट के साथ)


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