पंजाब विधानसभा विस स्पेशल सत्र: कृषि मंडीकरण नीति रद्द करने का प्रस्ताव
दूसरे दिन के सत्र में उठे कृषि मंडीकरण मुद्दे पर बहस, प्रस्ताव के पारित होने से किसानों को मिलने की उम्मीद…..
चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा के विस स्पेशल सत्र का दूसरा दिन आज जोरदार बहस के साथ शुरू हुआ। इस सत्र में खास तौर पर कृषि मंडीकरण नीति को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पेश किया जाने वाला है, जिस पर विधायक और किसान संगठनों के बीच तीखी चर्चा होने की उम्मीद है।
कृषि मंडीकरण नीति, जिसे कई सालों से किसानों के हित में विवादास्पद माना जा रहा है, पर विधानसभा में कई बार चर्चा हुई है। विपक्षी दलों और किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि इस नीति से किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उन्हें अपनी परंपरागत मंडी व्यवस्था से हानि हो रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में आज का सत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
सत्र की शुरुआत में एक वरिष्ठ विधायक ने बताया कि कृषि मंडीकरण नीति को रद्द करने का प्रस्ताव तैयार है, जिसे अगले चरण में समिति में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह प्रस्ताव किसानों की असुरक्षा और उनकी आय में गिरावट को रोकने के लिए एक आवश्यक कदम है।” उनके अनुसार, नीति में निहित अनुचित प्रावधानों को हटाकर एक ऐसा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए जिससे किसान अपनी उपज के उचित मूल्य की गारंटी पा सकें।
विपक्षी दलों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि मंडीकरण नीति किसानों के हित में नहीं है और इसे जल्द ही समाप्त किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ समर्थकों का मानना है कि अगर इस नीति को रद्द कर दिया गया तो स्थानीय मंडी व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सकेगा, जिससे किसानों को सीधे बाजार में बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
सत्र में उठे मुद्दों में कृषि मंडीकरण के अतिरिक्त कृषि सुधार, किसानों की आर्थिक स्थिति और मौजूदा कृषि नीतियों के प्रभाव पर भी विस्तृत चर्चा हुई। विधायकगण ने आपस में विचार-विमर्श करते हुए कहा कि इस तरह के बदलाव से प्रदेश के कृषि क्षेत्र में नई दिशा का उदय होगा।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो यह पंजाब के किसानों के लिए राहत की सौगात साबित हो सकता है। आज के सत्र के बाद प्रस्ताव को आगे के समितिगत चर्चाओं और वोटिंग के लिए पेश किया जाएगा।
अंत में, यह स्पष्ट हो गया कि पंजाब विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल कृषि मंडीकरण नीति पर बल्कि पूरे कृषि ढांचे में सुधार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। अब सभी की निगाह इस प्रस्ताव के अगले कदम पर टिकी हुई है, जिससे प्रदेश के किसानों को अपेक्षित राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
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