पंजाब में नेताओं के बीच रील्स का बढ़ता क्रेज
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पंजाब में नेताओं का बढ़ता रील्स क्रेज

मुख्यमंत्री से मंत्री तक सोशल मीडिया पर एक्टिव, 2027 चुनाव की तैयारी तेज…..

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पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार इन दिनों सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय नजर आ रही है। खासकर रील्स और शॉर्ट वीडियो जैसे फॉर्मेट्स में मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर तमाम मंत्री अपने कामकाज, योजनाओं और जनसंवाद को आकर्षक ढंग से पेश कर रहे हैं। जहां पहले केवल राजनीतिक घोषणाएं और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जनता से संवाद किया जाता था, वहीं अब सोशल मीडिया के शॉर्ट फॉर्म वीडियोज नेताओं का नया मंच बन चुके हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद एक लोकप्रिय चेहरा रहे हैं, और उनकी अभिनय शैली और हाजिरजवाबी को जनता पहले से पसंद करती रही है। इसी छवि को और सशक्त करने के लिए अब वह लगातार रील्स के ज़रिए जनता से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपने विकास कार्यों, सरकारी योजनाओं, जनभ्रमण और मीटिंग्स की झलकियां शॉर्ट वीडियो में साझा करते हैं।

AAP के अन्य मंत्री भी पीछे नहीं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और कृषि विभाग से जुड़े मंत्री सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और नियमित तौर पर वीडियो बनवाकर पोस्ट कर रहे हैं। इनमें कभी किसी योजना का उद्घाटन होता है तो कभी जनता से संवाद का दृश्य, तो कहीं किसी स्कूल या अस्पताल में अचानक निरीक्षण। इन वीडियोज़ को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सिर्फ काम ही नहीं कर रही, बल्कि उसे प्रस्तुत भी करना जानती है।

इस बढ़ती सक्रियता के पीछे 2027 के विधानसभा चुनावों को भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। सरकार अपनी उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पारंपरिक मीडिया पर निर्भर न रहकर डिजिटल माध्यमों का पूरा लाभ उठा रही है। खासकर युवाओं और पहली बार वोट देने जा रही पीढ़ी तक पहुंचने के लिए यह तरीका काफी कारगर माना जा रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है। सोशल मीडिया अब केवल मनोरंजन का मंच नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक संवाद, छवि निर्माण और जनसंपर्क का सबसे तेज़ और प्रभावी जरिया बन चुका है। रील्स और शॉर्ट वीडियो न केवल आकर्षक होते हैं, बल्कि उन्हें शेयर करना भी आसान होता है, जिससे उनका प्रभाव व्यापक होता है।

हालांकि विपक्ष इसे केवल “इवेंटबाजी” और “शो ऑफ” कहकर खारिज करता है। उनका तर्क है कि असली काम जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए, कैमरे के सामने नहीं। लेकिन AAP नेताओं का कहना है कि पारदर्शिता और जनजागरूकता के लिए यह जरूरी है कि सरकार जो भी करे, वह जनता तक पहुंचे।

जमीनी हकीकत चाहे जो हो, एक बात तो साफ है कि पंजाब की राजनीति अब सोशल मीडिया पर और अधिक केंद्रित हो रही है। 2027 से पहले यह डिजिटल सक्रियता और तेज़ होगी, और जनता तय करेगी कि कौन रील्स का हीरो है और कौन असल काम का।

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