पंजाब में मौसम का मिजाज एक बार फिर बदलने वाला है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए तेज बारिश की संभावना जताते हुए यलो अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार, राज्य के अधिकांश जिलों में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है, जबकि कुछ इलाकों में गरज-चमक और तेज हवाओं के साथ बारिश होने की संभावना है।
मौसम विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते कई बांधों और जलाशयों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। विशेष रूप से भाखड़ा और पोंग बांध के जलस्तर में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है। अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर पानी छोड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं, ताकि निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सके।
तेज बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। दिन का पारा सामान्य से 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक नीचे आ गया है, जिससे मौसम सुहावना हो गया है। हालांकि, किसानों के लिए यह बारिश मिश्रित प्रभाव ला सकती है। जहां एक ओर खरीफ फसलों के लिए यह पानी लाभकारी साबित होगा, वहीं अधिक बारिश से जलभराव और फसलों को नुकसान का खतरा भी बढ़ सकता है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आ रही नमी और सक्रिय मॉनसून ट्रफ के कारण हो रहा है। इसके चलते पंजाब सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में अगले कुछ दिनों तक बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिला प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। निचले इलाकों, नदी किनारे और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखने के लिए टीमें तैनात की जा रही हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से जलभराव वाले क्षेत्रों में न जाएं और मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली अपडेट पर ध्यान दें।
कई स्थानों पर नगरपालिका और पंचायत स्तर पर जल निकासी की व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं, ताकि बारिश के पानी से जनजीवन पर ज्यादा असर न पड़े। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने भी बारिश के दौरान फैलने वाली बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और वायरल संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
अगले तीन दिन राज्य के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन प्रशासन और स्थानीय निकायों की ओर से तैयारियां तेज कर दी गई हैं। अब देखना यह होगा कि मौसम का यह रुख कितना असर डालता है और क्या बांधों का जलस्तर नियंत्रित रह पाता है या नहीं।