पंजाब : की जेलों से जल्द ही 412 कैदियों की रिहाई होने जा रही है। यह फैसला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित रिहाई अर्जियों को लेकर सुनवाई के दौरान सामने आया। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जिन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया वैधानिक रूप से पूरी हो चुकी है, उन्हें और इंतजार में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने पंजाब सरकार और संबंधित अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में रिहाई की अर्जियां लंबित रहना प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है।
कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि जिन कैदियों की सजा का अहम हिस्सा पूरा हो चुका है और जो पैरोल या विशेष रिहाई की पात्रता में आते हैं, उन्हें बिना कारण जेलों में रखा गया है। यह न केवल मानवाधिकारों का हनन है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी का एक चिंताजनक संकेत भी है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को इस पर गंभीरता से काम करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसा दोहराया न जाए।
इन 412 कैदियों की अर्जियां पिछले कई महीनों से लंबित थीं, जिनमें से कई मामलों में अधिकारियों की रिपोर्ट या अनुशंसा ही नहीं भेजी गई थी। कोर्ट ने राज्य की Sentence Review Board (SRB) को निर्देश दिया है कि वह शीघ्र इन मामलों की समीक्षा कर रिहाई की प्रक्रिया पूरी करे। अदालत ने यह भी कहा कि अगर कैदियों की रिहाई में अनावश्यक देरी की गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस निर्णय से उन सैकड़ों परिवारों को राहत मिली है जो अपने प्रियजनों की रिहाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी कोर्ट के फैसले की सराहना की है और उम्मीद जताई कि यह प्रशासन को जवाबदेह बनाएगा।
पंजाब की जेलों में पहले ही क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं, ऐसे में यह रिहाई जेल प्रशासन के लिए भी राहत भरी साबित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि कोर्ट के निर्देशों का पालन किस गति से और कितनी गंभीरता से किया जाता है।
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