नाग पंचमी पर करें पूजन, पाएं कृपा
श्रावण पंचमी को मनाएं नाग देवता की आराधना, जानें शुभ मुहूर्त और विधि
नई दिल्ली आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। विशेष रूप से यह दिन नाग देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है, जिन्हें हमारे धार्मिक ग्रंथों में पृथ्वी की रक्षा करने वाला माना गया है।
नाग पंचमी पर नागों की पूजा करके लोग अपनी परेशानियों से मुक्ति की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक नाग देवता की आराधना करने से जीवन में कालसर्प दोष, पितृदोष और अन्य ग्रह दोषों का असर कम हो जाता है। यही कारण है कि आज के दिन श्रद्धालु घरों में, मंदिरों में या फिर नाग देवताओं के प्रत्यक्ष निवास स्थलों जैसे बिलों या नाग मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं।
पूजन के लिए सबसे पहले घर या मंदिर में नाग देवता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद कच्चा दूध, दूर्वा, सफेद फूल, चंदन, कुशा, अक्षत आदि अर्पित किए जाते हैं। वहीं, कई लोग दीवारों या कागज पर नाग की आकृति बनाकर उसकी भी पूजा करते हैं। पूजा के समय ‘ॐ नमः नागाय’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुकिने नमः’ मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व होता है। व्रती सुबह स्नान करके पूजा में बैठते हैं और दिनभर फलाहार करते हैं। पूजा के बाद कथा सुनने की परंपरा है जिसमें नागों के साथ मानवों के संबंध और उनके सम्मान की कहानियां सुनाई जाती हैं। इस दिन कहीं-कहीं दूध से नागों को स्नान भी कराया जाता है, और उन्हें मीठा चावल या लड्डू अर्पित किए जाते हैं। आज का शुभ मुहूर्त सुबह 05:45 से दोपहर 12:30 बजे तक माना जा रहा है। इस समय के दौरान पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
नाग पंचमी सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के एक महत्वपूर्ण प्राणी – सर्प के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर भी है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सभी जीव-जंतु, चाहे वे कितने भी भयावह क्यों न लगें, सृष्टि का हिस्सा हैं और उन्हें सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।
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