नगर निगम बैठक में गूंजेगी गारबेज प्लांट की गूंज
NGO को गोशालाएं सौंपने पर भी मंथन संभव…..
चंडीगढ़ नगर निगम की आज होने वाली बैठक में शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर बड़ा हंगामा होने की संभावना है। विशेष रूप से धनास स्थित गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट की खराब हालत को लेकर पार्षदों में नाराजगी है। पिछले कई महीनों से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि यह प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है। इससे शहर में कूड़े के ढेर बढ़ते जा रहे हैं और लोगों की नाराजगी भी बढ़ती जा रही है।
नगर निगम के पार्षदों का कहना है कि जब गारबेज प्लांट ही सुचारु रूप से काम नहीं करेगा, तो सफाई व्यवस्था कैसे दुरुस्त हो पाएगी। इस मुद्दे को लेकर बैठक में कई पार्षद तीखे सवाल उठा सकते हैं। उनका मानना है कि प्लांट में तकनीकी खामियों के साथ-साथ प्रबंधन में भी गंभीर लापरवाही है।
बैठक में गारबेज प्लांट के अलावा एक और महत्वपूर्ण मुद्दा चर्चा में रहेगा—गोशालाओं को एनजीओ को सौंपने का प्रस्ताव। नगर निगम प्रशासन चाहता है कि शहर में चल रही गोशालाओं की जिम्मेदारी अब गैर-सरकारी संगठनों को दी जाए ताकि उनकी देखभाल बेहतर तरीके से हो सके। इस प्रस्ताव पर कुछ पार्षदों ने सहमति जताई है, लेकिन कई पार्षद इस पर सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या एनजीओ को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपना सही होगा?
बैठक में इन दोनों मुद्दों को लेकर गहमागहमी तय मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी पार्षद गारबेज प्लांट की स्थिति को लेकर सत्ता पक्ष पर हमला बोल सकते हैं। साथ ही, गोशालाओं को एनजीओ को सौंपने के पीछे किसी निजी संस्था को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया जा सकता है।
चंडीगढ़ नगर निगम की यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें शहर की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े कई मसलों पर चर्चा होनी है। नागरिकों की अपेक्षा है कि नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाए और सिर्फ बैठकें करने तक सीमित न रहे, बल्कि धरातल पर भी काम दिखे।
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि गारबेज प्लांट के रखरखाव और अपग्रेडेशन के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जल्द ही मशीनों की मरम्मत और नई तकनीक के इस्तेमाल से स्थिति में सुधार होगा। वहीं, गोशालाओं को एनजीओ को सौंपने से पहले सभी प्रक्रियाओं की गहन जांच की जाएगी ताकि कोई अनियमितता न हो। शहरवासी अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नगर निगम की यह बैठक सिर्फ चर्चा तक सीमित न रह जाए, बल्कि उसके बाद जमीन पर बदलाव भी नजर आए। क्योंकि कूड़े के ढेर और बेसहारा गायें अब चंडीगढ़ की पहचान नहीं बननी चाहिए।
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