धूम्रपान छोड़ने के बाद भी कैंसर का खतरा
डॉक्टरों की चेतावनी: धूम्रपान छोड़ने के 15 साल बाद तक बना रहता है लंग्स कैंसर का जोखिम…..
चंडीगढ़ में हाल ही में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी एक गंभीर सच्चाई सामने आई है। पल्मोनरी मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. सोनल ने बताया कि भले ही कोई व्यक्ति धूम्रपान छोड़ दे, लेकिन अगले 15 वर्षों तक भी उसके फेफड़ों के कैंसर का खतरा बना रहता है। यह जानकारी चंडीगढ़ प्रेस क्लब में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा आयोजित एक जागरूकता सत्र में दी गई, जिसमें बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी, पत्रकार और जागरूक नागरिक मौजूद थे।
डॉ. सोनल ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर के मामले हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। इस बीमारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा और खतरनाक कारण धूम्रपान ही है। उन्होंने कहा कि करीब 80 प्रतिशत लंग्स कैंसर के मामले धूम्रपान करने वाले या कभी धूम्रपान कर चुके लोगों में पाए जाते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि धूम्रपान छोड़ना फेफड़ों की सेहत के लिए पहला जरूरी कदम है, लेकिन यह सोचना गलत होगा कि एक बार छोड़ देने के बाद जोखिम पूरी तरह खत्म हो जाता है। तंबाकू में मौजूद जहरीले तत्व लंबे समय तक फेफड़ों को प्रभावित करते रहते हैं। यही वजह है कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी लंग्स कैंसर का खतरा बरकरार रहता है, खासकर पहले 15 वर्षों तक।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पूर्व धूम्रपान करने वाले मरीज ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि धूम्रपान छोड़ने के 10 साल बाद उन्हें लंग्स कैंसर का पता चला। शुरुआत में उन्हें मामूली खांसी और सांस की तकलीफ महसूस हुई, लेकिन जांच में जब कैंसर की पुष्टि हुई तो यह एक बड़ा झटका था। हालांकि समय पर इलाज और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें इस बीमारी से लड़ने में मदद की।
डॉ. सोनल ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे धूम्रपान से दूरी बनाएं और अपने आसपास के लोगों को भी इसके खतरों से अवगत कराएं। उन्होंने यह भी बताया कि लंग्स कैंसर से बचाव का सबसे कारगर तरीका है – धूम्रपान से पूरी तरह दूरी, स्वस्थ जीवनशैली और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच।
इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य केवल जानकारी देना ही नहीं था, बल्कि लोगों को यह समझाना था कि स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कितना बड़ा खतरा बन सकती है। फेफड़ों का कैंसर एक खामोश बीमारी की तरह है, जो तब तक नहीं पकड़ी जाती जब तक स्थिति गंभीर न हो जाए। इसलिए जरूरी है कि हम सजग रहें, स्वस्थ जीवन अपनाएं और धूम्रपान जैसे जानलेवा आदतों से बचें।