तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में युवाओं का वास्तविक खेल मैदानों से दूर होना चिंताजनक’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने डिजिटल दुनिया के प्रभाव के कारण युवाओं के वास्तविक खेल मैदानों से दूर जाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में बच्चों और युवाओं का शारीरिक खेलों से दूर होकर डिजिटल खेलों की ओर बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है। उपराष्ट्रपति ने विशेष ओलंपिक एशिया पैसिफिक बोशे और बॉलिंग प्रतियोगिता के उद्घाटन के दौरान दिव्यांग खिलाड़ियों के सामने आने वाली कठिनाइयों का भी उल्लेख किया।
धनखड़ ने शिक्षा और खेल की भूमिका को जीवन में अनिवार्य बताते हुए कहा कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण, एकता और राष्ट्रीय गौरव का स्रोत है। इसके साथ ही उन्होंने माता-पिता से अपील की कि बच्चों को डिजिटल स्क्रीन से दूर वास्तविक खेल के मैदानों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करें।
उन्होंने खेल को एक सार्वभौमिक भाषा और सामाजिक बाधाओं को तोड़ने का माध्यम बताया, जिससे विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए उम्मीद और आशा की नई किरण बनती है।
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