तलाक के बाद FIR रद्द करने का आदेश
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तलाक के बाद FIR रद्द: कोर्ट का फैसला

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने माना पति पर केस चलाना अब कानून का दुरुपयोग…..

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पंजाब / हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में तलाक के सात महीने बाद दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया है। यह मामला एक विवाहित जोड़े से जुड़ा है जिनका आपसी मतभेद के चलते तलाक हो चुका था। महिला ने तलाक के सात महीने बाद अपने पूर्व पति के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें घरेलू हिंसा और अन्य आपराधिक आरोप लगाए गए थे। मामले के कोर्ट में पहुंचने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे कानून के दुरुपयोग की श्रेणी में माना और एफआईआर को रद्द कर दिया।

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से तलाक ले चुके हैं और समझौता भी हो चुका है, तो उसके बाद आपराधिक कार्यवाही चलाना न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में कानून का उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना है, न कि बदले की भावना से कार्रवाई करना। कोर्ट के अनुसार यह स्पष्ट रूप से आपसी सहमति के बाद झगड़े को समाप्त मान लिया गया था, इसलिए इस मामले में आगे कानूनी कार्यवाही चलाना न्यायसंगत नहीं होगा।

इस फैसले को लेकर कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय उन मामलों में नजीर बनेगा, जहां आपसी सहमति से रिश्तों का अंत हो चुका है लेकिन फिर भी पक्षकार एक-दूसरे को कानूनी पचड़ों में घसीटने की कोशिश करते हैं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अदालतों का समय और संसाधन उन मामलों में खर्च किया जाना चाहिए जो वास्तव में गंभीर और न्याय के लिए जरूरी हों।

पूर्व पति की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई थी कि वह पहले ही तलाक की प्रक्रिया से गुजर चुका है और महिला द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण है। वहीं महिला की ओर से कहा गया कि कुछ घटनाएं तलाक के बाद हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने सबूतों और घटनाक्रमों के आधार पर पाया कि मामला पूरी तरह समझौते के बाद का है और इसे तूल देना कानून का दुरुपयोग है। इस निर्णय के बाद अब केस पूरी तरह से बंद हो गया है और पूर्व पति को बड़ी राहत मिली है।

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