डूंगरपुर में एएसआई रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया
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डूंगरपुर में एएसआई रिश्वत लेते पकड़ा गया

एसीबी ने 5 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा, थाने में की कार्रवाई

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डूंगरपुर  राजस्थान के डूंगरपुर जिले से भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई सामने आई है, जहां चौरासी थाना क्षेत्र में पदस्थ एक सहायक उप निरीक्षक यानी एएसआई को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई ने न केवल प्रशासन में हलचल मचा दी है, बल्कि आम जनता के बीच भी एक बार फिर यह विश्वास जगाया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई जाए तो कानून अपना काम जरूर करता है।

घटना का खुलासा तब हुआ जब 26 जुलाई को एक व्यक्ति ने डूंगरपुर एसीबी चौकी में लिखित शिकायत दी। शिकायत के मुताबिक, चार महीने पहले लांबासाडोड़ गांव में एक आपसी विवाद हुआ था जिसमें शिकायतकर्ता के भाई, भतीजे और एक अन्य को एएसआई जीवतराम ने थाने में बंद कर दिया। बाद में शिकायतकर्ता के भाई को तो छोड़ दिया गया, लेकिन उसके भतीजे और तीसरे व्यक्ति को रिहा करने के बदले एएसआई ने 10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए डूंगरपुर एसीबी चौकी प्रभारी राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में मामले का सत्यापन शुरू किया गया। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी एएसआई पहले ही शिकायतकर्ता से तीन हजार रुपये रिश्वत के रूप में ले चुका था। बाकी बचे पांच हजार रुपये की मांग पूरी करने के लिए जब एएसआई ने शिकायतकर्ता को बुलाया तो एसीबी ने अपना जाल बिछा दिया।

मंगलवार की शाम जैसे ही शिकायतकर्ता ने थाने के भीतर एएसआई जीवतराम को पांच हजार रुपये थमाए, एसीबी की टीम ने तत्परता दिखाते हुए दबिश दी और आरोपी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई थाने परिसर में ही की गई और इसे पूरी पारदर्शिता के साथ अंजाम दिया गया।

इस मामले में आरोपी एएसआई को बुधवार को उदयपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया जाएगा। फिलहाल मामले की गहन जांच की जा रही है और यह देखा जा रहा है कि कहीं इस मामले में और भी कोई पुलिसकर्मी शामिल तो नहीं है।

यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि जिन पर कानून की रक्षा का जिम्मा है, वही जब कानून का उल्लंघन करने लगें, तो आम आदमी का भरोसा किस पर रहेगा। हालांकि, एसीबी की तत्परता ने यह भी साबित किया है कि कानून की नजर सब पर है और शिकायत मिलने पर उचित कार्रवाई की जाती है। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन में हलचल मचाई है, बल्कि आम लोगों के बीच यह संदेश भी दिया है कि भ्रष्टाचार को चुपचाप सहना नहीं, बल्कि उसके खिलाफ आवाज उठाना ही एकमात्र रास्ता है।

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