झुंझुनूं में दरिंदगी: 25 बेजुबान कुत्तों की निर्मम हत्या से सनसनी
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झुंझुनूं में दरिंदगी: 25 कुत्तों की हत्या

पूर्व सरपंच पर लगे आरोप, ग्रामीणों में आक्रोश

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झुंझुनूं राजस्थान के झुंझुनूं जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। जिले के एक गांव में एक व्यक्ति ने कथित रूप से 25 से अधिक बेजुबान आवारा कुत्तों को बेरहमी से गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई और प्रशासन भी हरकत में आ गया।

पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी की पहचान श्योचंद बावरिया के रूप में की है, जो कि गांव का पूर्व सरपंच भी रह चुका है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद उसने अपने बचाव में यह कहने की कोशिश की कि वह बेकसूर है और यह सब एक साजिश के तहत किया गया है ताकि उसके खिलाफ माहौल बनाया जा सके।

श्योचंद बावरिया ने दावा किया कि गांव में चल रहे एक पुराने विवाद के कारण उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उसने इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक साजिश बताते हुए खुद को निर्दोष बताया और मुआवजे की मांग को लेकर चल रहे कुछ लोगों पर भी आरोप लगाए हैं कि वे जानबूझकर उसका नाम इस मामले में घसीट रहे हैं।

लेकिन दूसरी ओर, गांव के लोग इस बात से बेहद नाराज़ हैं कि कोई इंसान इतने निर्दयी तरीके से बेजुबान जानवरों की हत्या कैसे कर सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई दिनों से गांव में रात के समय गोलियों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं, लेकिन किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि यह किसी ऐसी दरिंदगी का हिस्सा है।

गांव के कई लोगों ने मृत कुत्तों के शवों को सड़क किनारे पड़ा देखा और जब यह बात सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो प्रशासन पर दबाव बढ़ा और पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।

ग्रामीणों का साफ़ कहना है कि चाहे आरोपी कोई भी हो, अगर उसने इतने मासूम जानवरों की हत्या की है, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लोगों का यह भी कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि यह समाज में बढ़ती संवेदनहीनता का उदाहरण भी हैं।

पशु प्रेमी संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है और आरोपी को जल्द से जल्द न्यायिक सजा दिलाने की मांग की है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच चल रही है और आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं।

इस घटना ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब इंसान अपनी संवेदनाओं को खो देता है, तो वह किस हद तक गिर सकता है। झुंझुनूं की यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमें अपने समाज में दया, करुणा और कानून के प्रति जागरूकता को और मजबूत करना होगा।

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