जुलाई WPI आंकड़े आज, गिरावट के आसार
जून में थोक महंगाई -0.13%, जुलाई में भी मंदी का अनुमान….
नई दिल्ली : आज देश की आर्थिक सेहत से जुड़े एक अहम आंकड़े का ऐलान होने जा रहा है—जुलाई महीने के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार भी इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है, जो उद्योग और उपभोक्ता दोनों के लिए राहत की खबर होगी।
जून में थोक महंगाई दर माइनस 0.13% रही थी, यानी बाजार में औसतन थोक कीमतों में मामूली कमी दर्ज की गई थी। इसे अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक सकारात्मक संकेत माना गया था, खासकर तब जब वैश्विक स्तर पर कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी था।
जुलाई के लिए विश्लेषकों का अनुमान है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में हल्की कमी, ईंधन और बिजली की दरों में स्थिरता और निर्माण से जुड़ी वस्तुओं की लागत में नरमी WPI को नीचे ला सकती है। हालांकि, मानसून के असर और कुछ कृषि उत्पादों की कीमतों में मौसमी बढ़त का भी असर इन आंकड़ों पर पड़ सकता है।
थोक महंगाई दर, खुदरा महंगाई (CPI) की तरह सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर असर नहीं डालती, लेकिन यह उत्पादन और सप्लाई चेन में लागत के दबाव का एक अहम संकेतक है। अगर थोक स्तर पर कीमतें कम होती हैं, तो आने वाले समय में खुदरा कीमतों में भी राहत मिल सकती है।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भारत में लगातार कुछ महीनों से WPI में नरमी देखी जा रही है, जिसका फायदा उद्योगों को मिल रहा है। खासकर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए यह राहतभरा है, क्योंकि उत्पादन लागत कम होने से मुनाफा बढ़ सकता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा आसान हो सकती है।
सरकार और रिजर्व बैंक भी इन आंकड़ों पर नजर रखेंगे। हालांकि, RBI मौद्रिक नीति तय करते समय ज्यादा ध्यान खुदरा महंगाई पर देता है, लेकिन WPI का रुझान भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह भविष्य में उपभोक्ता महंगाई के संकेत देता है।
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल, धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में स्थिरता ने भारत के थोक बाजार को सहारा दिया है। अगर यह रुझान जारी रहता है, तो आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव और कम हो सकता है।
फिलहाल, निवेशक, उद्योगपति और नीति निर्माता सभी की नजरें आज जारी होने वाले आंकड़ों पर हैं। अगर अनुमान के मुताबिक गिरावट दर्ज हुई, तो यह शेयर बाजार और उद्योग जगत के लिए एक और सकारात्मक खबर साबित हो सकती है।
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